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रेलवे ट्रैक पर दौड़ेंगी 150 प्राइवेट ट्रेनें, किराया बाजार के हिसाब से वसूलने की छूट, पैनल ने दी हरी झंडी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 8, 2020 10:09 IST

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रेलवे के पास अभी 68 हजार किलोमीटर ट्रैक का जाल है. 2018-19 में 59 करोड़ यात्रियों ने रेलवे से सफर किया था.

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ठळक मुद्देदिल्ली-मुंबई और दिल्ली कोलकाता मार्ग को दिसंबर 2021 तक सिग्नल फ्री बनाने की योजना है.रेलवे अपनी नियमित ट्रेनें प्राइवेट ट्रेनों के साथ 15 मिनट के अंतर पर चलायेगा

एक उच्चस्तरीय समिति ने  निजी आपरेटरों को सौ रेल-मार्गों पर निजी कंपनियों को 150 यात्रीगाड़ियों के परिचालन की अनुमति दी है। इसमें मुंबई-दिल्ली और हावड़ा-दिल्ली जैसे मार्ग भी शामिल हैं। लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर चलने वाली तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट प्लेयर द्वारा परिचालित पहली भारतीय ट्रेन है। इसका परिचालन आईआरसीटीसी (IRCTC) ने पिछले साल चार अक्टूबर से शुरू किया था।

समिति की शुरुआती चर्चा के अनुसार इससे 22,500 करोड़ रुपये का निवेश आ सकता है। मुंबई सेंट्रल-नई दिल्ली, नई दिल्ली-पटना, अहमदाबाद-पुणे और दादर-वड़ोदरा, हावड़ा-चेन्नई, हावड़ा-पटना, इंदौर-ओखला, लखनऊ-जम्मू तवी, चेन्नई-ओखला, आनंद विहार-भागलपुर, सिकंदराबाद-गुवाहाटी और हावड़ा-आनंद विहार जैसे मार्ग पर भी निजी इकाईयां परिचालन कर सकेगी। इन 100 मार्गों को 10-12 समूहों में बांटा गया है। निजी कंपनियां की ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेन चलाने की अनुमति दी जाएगी.

निजी कंपनियों को अपनी गाड़ियों में बाजार के अनुसार किराया वसूल की छूट होगी। वे इन गाड़ियों में अपनी सुविधा के हिसाब से विभिन्न श्रेणियों की बोगियां लगाने के साथ साथ मार्ग पर उनके ठहराव वाले स्टेशनों का भी चयन कर सकेंगे। 

पीटीआई भाषा में छपी खबर के अनुसार, शुरुआती दस्तावेज में कहा गया कि ट्रेनों के निजीकरण से आधुनिक प्रौद्योगिकी लाने तथा रख-रखाव की लागत कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधायें मिलने के साथ ही मांग व आपूर्ति की खाई को कम करने में भी मदद मिलेगी। 

इस दस्तावेज के अनुसार, ट्रेनों का परिचालन करने वाले संभावित निकाय घरेलू के साथ ही विदेशी भी हो सकते हैं। बोली लगाने वाले हर निकाय अधिकतम तीन समूह के परिचालन के पात्र होंगे। 

रेलवे बोर्ड ने निजी कंपनियों द्वारा ट्रेनों के परिचालन के संबंध में बोली लगाने की प्रक्रिया तय करने तथा अन्य निर्णय लेने के लिये पिछले साल अक्टूबर में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता में सचिवों के शक्तिशाली समूह का गठन किया था।  

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