नई दिल्ली: पाकिस्तान से भारत आया एक हिंदू शख्स अपने बच्चों समेत वापस लौटना चाहता है। हालांकि सामने आई कुछ मुश्किलों ने उसकी वापसी की राह कठिन कर दी है। यह कहानी 41 साल के अजीत कुमार नागदेव की है।
उनकी पत्नी रेखा कुमारी की मौत 22 अप्रैल को भारत में ही हो गई थी। कोविड के कारण उनकी मुश्किलें और बढ़ी गई हैं और जीवनयापन में भी मुश्किलें आ रही हैं। पत्नी की मौत के बाद अजीत बच्चों को अकेला छोड़कर भी बाहर काम के लिए नहीं जा सकते हैं।
पाकिस्तान के उस्ता मोहम्मद से आए थे अजीत
अजीत अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ पाकिस्तान के उस्ता मोहम्मद शहर से 2010 में भारत एक बेहतर भविष्य के लिए आए थे। मध्य प्रदेश के बालाघाट में रहते हुए 2012 में उन्हें एक बेटी लोवीना भी हुई।
परिवार भारत में लॉन्ग टर्म वीजा (एलटीवी) पर रह रहा था। ऐसे में लवलीना का नाम मां रेखा के पासपोर्ट पर चढ़ाया गया था। हालांकि रेखा (38) की नागपुर में मौत के बाद लोवीना का पासपोर्ट भी मान्य नहीं रह गया था।
इस बीच जून में अजीत और लोवीना करीब 12 घंटे की यात्रा के बाद दिल्ली पहुंचे जहां पाकिस्तान के दूतावास ने उनकी मदद की और लोवीना के लिए पासपोर्ट जारी किया। साथ ही उनकी यात्रा और दूसरे खर्च को भी वहन किया।
हालांकि, कोविड के कारण बॉर्डर बंद होने से अजीत अपने बच्चों के साथ अभी भारत से नहीं जा सके हैं। पाकिस्तान में अजीत के परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। इनमें उनके पांच भाई हैं जो पाकिस्तान में अपने परिवार के साथ रहते हैं।
भारत में फंसे हैं कई और पाकिस्तानी
टाइम्स ऑफ इंडिया की 9 मई की रिपोर्ट के अनुसार कई और पाकिस्तानी भी भारत में कोविड की वजह से फंसे हैं। नागपुर में सत्तनबाई अपने बेटे से मिलने यहां आईं थी। बॉर्डर बंद होने के बाद वे यही फंस गईं।
ऐसे ही छत्तीसगढ़ के रायपुर में 32 साल के अनिल रेखरिया रह रहे हैं। उन्हें घोटकी जाना था क्योंकि पिता को उनकी जरूरत है। हालांकि अब वे बॉर्डर खुलने का इंतजार कर रहे हैं। पाकिस्तान के उच्चायोग के अनुसार भारत में अभी करीब 600 या उससे ज्यादा ऐसे लोग हैं जिन्हें पाकिस्तान लौटना है।