केंद्र अध्यादेश विवादः भाजपा ने कहा- केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं पढ़ा है, अध्यादेश संविधान के अनुरूप

By अनिल शर्मा | Published: May 21, 2023 08:18 AM2023-05-21T08:18:01+5:302023-05-21T08:34:02+5:30

भाजपा ने कहा कि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल सरकार पर अफसरों को डराने का आरोप लगाते हुए कहा कि अध्यादेश जरूरी था। उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार, आठ अधिकारियों ने केजरीवाल सरकार पर "घोर उत्पीड़न" का आरोप लगाया है।

ordinance row BJP says Kejriwal did not read Supreme Court decision ordinance accordance to Constitution | केंद्र अध्यादेश विवादः भाजपा ने कहा- केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं पढ़ा है, अध्यादेश संविधान के अनुरूप

तस्वीरः ANI

Highlightsअध्यादेश को लाने में, केंद्र सरकार ने दिल्ली के शासन के संबंध में इसे प्रदान किए गए अधिकारों का प्रयोग किया हैः भाजपाभाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि यह अध्यादेश संविधान और  उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के अनुरूप है।

 नई दिल्लीः भाजपा के अमित मालवीय ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र बनाम दिल्ली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले को नहीं पढ़ा है। क्योंकि यह अध्यादेश संविधान और  उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के अनुरूप है।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि दिल्ली के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर इतनी ऊर्जा खर्च करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पढ़ा होता, तो उन्हें पता होता कि उक्त अध्यादेश, जिसे बाद में संसद द्वारा एक विधेयक के रूप में लाया जाना था, की उत्पत्ति संविधान पीठ (सीबी) के फैसले में ही हुई है। अमित मालवीय ने कहा कि इस अध्यादेश को लाने में, केंद्र सरकार ने दिल्ली के शासन के संबंध में इसे प्रदान किए गए अधिकारों का प्रयोग किया है।

उधर, भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी अध्यादेश लाने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पलटवार किया। भाटिया ने संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि "संसद किसी विषय पर कार्यकारी शक्ति प्रदान करने वाला कानून बनाती है", तो उपराज्यपाल की शक्ति को तदनुसार संशोधित किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि यह अध्यादेश जनहित में है। इस अध्यादेश को छह महीने के अंदर संसद की मंजूरी चाहिए होगी। 

 भाजपा ने कहा कि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल सरकार पर अफसरों को डराने का आरोप लगाते हुए कहा कि अध्यादेश जरूरी था। उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार, आठ अधिकारियों ने केजरीवाल सरकार पर "घोर उत्पीड़न" का आरोप लगाया - दो शिकायतें पहले और छह शिकायतें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्राप्त हुईं। शिकायत करने वालों में 5 आईएएस अधिकारी शामिल हैं।

सेवा सचिव आशीष मोरे के अलावा, मुख्य सचिव नरेश कुमार, विशेष सचिव किन्नी सिंह, वाईवीवीजे राजशेखर और बिजली सचिव शुरबीर सिंह ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ शिकायत की। राजशेखर केजरीवाल के आवास की मरम्मत का मामला देख रहे थे।

इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए शनिवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार उच्चतम न्यायालय में इसको चुनौती देगी। आप सरकार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के ग्रीष्मावकाश के कारण बंद होने के कुछ ही घंटों बाद सेवाओं के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए केंद्र ने अध्यादेश जारी किया।

Web Title: ordinance row BJP says Kejriwal did not read Supreme Court decision ordinance accordance to Constitution

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