मेघालय में कोविड-19 से जान गंवाने वाले के अंतिम संस्कार का विरोध समाज की चेतना पर धब्बा: उपराष्ट्रपति
By भाषा | Published: April 17, 2020 05:40 PM2020-04-17T17:40:54+5:302020-04-17T17:40:54+5:30
उपराष्ट्रपति ने गृह सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक के साथ इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं साझा की।
नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि वह कोरोना वायरस की वजह से जान गंवाने वाले एक डॉक्टर के अंतिम संस्कार का विरोध करने संबंधी खबरों को लेकर ‘‘बेहद व्यथित’’ हैं और ऐसी घटनाएं समाज की चेतना पर एक धब्बा हैं। खबरों के अनुसार, मेघालय में स्थानीय लोगों ने कोविड-19 के कारण मरने वाले डॉक्टर के अंतिम संस्कार का विरोध किया क्योंकि उन्हें इस बीमारी के और फैलने का डर था। एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मेघालय के इस डॉक्टर के अंतिम संस्कार में 36 घंटे की देरी हुई।
उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘ऐसी घटनाएं समाज की चेतना पर धब्बा हैं और पार्टी, धर्म तथा क्षेत्र से ऊपर उठकर हम सभी लोगों के लिए चिंता का सबब हैं।’’ नायडू ने कहा कि स्थानीय लोगों के इस ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार’’ के कारण मुख्यमंत्री कॉनरैड संगमा को आखिरकार मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध के कारण डॉक्टर का शव कई घंटे अस्पताल में ही पड़ा रहा। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को शिक्षित करने और भविष्य में इस तरह की अमानवीय घटनाओं को रोकने के लिए कोविड-19 के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है।’’
उपराष्ट्रपति ने गृह सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक के साथ इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं साझा की। उन्होंने कहा कि यह बहुत पीड़ा का विषय है कि कोरोना वायरस से संक्रमित शवों के निपटारे के लिए मार्च में केंद्र सरकार द्वारा जारी परामर्श के बावजूद ऐसी घटना हुई।
नायडू ने कहा, ‘‘मैं सभी नागरिकों से मुश्किल की इस घड़ी में सहानुभूति रखने, करुणा के साथ प्रतिक्रिया देने का अनुरोध करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि लोगों को जिम्मेदारीपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और अफवाहों पर यकीन नहीं करना चाहिए।