हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ‘आपरेशन कावेरी’ की शुरुआत कर दी है और पूर्व के ऐसे अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार सूडान में फंसे सभी भारतीयों को वापस लाने में सफल होगी. पहला जहाज तो 278 लोगों को लेकर सूडान के बंदरगाह से सऊदी अरब के शहर जेद्दा के लिए रवाना भी हो चुका है. उल्लेखनीय है कि अभी पिछले साल ही भारत सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा शुरू किया था, जिसके तहत करीब 18000 भारतीयों को यूक्रेन से सुरक्षित भारत लाया गया था.
हालांकि सूडान से किसी भी देश के लिए अपने नागरिकों को निकालना इतना आसान नहीं है, क्योंकि वहां एयर स्पेस पूरी तरह से बंद है और कोई भी विमान उड़ान नहीं भर सकता. इसीलिए अमेरिका और सऊदी अरब की मध्यस्थता के बाद सूडान में पैरामिलिट्री फोर्स (आरएसएफ) और सेना के बीच 10 दिन से चल रही लड़ाई में 72 घंटे के सीजफायर का ऐलान किया गया है, ताकि सभी देश अपने नागरिकों को वहां से निकाल सकें.
इसके पहले 19 अप्रैल को भी दोनों पक्षों ने सीजफायर की घोषणा की थी, लेकिन इसके बावजूद तब हमले जारी थे और बाहर निकलने वालों को लूटा जा रहा था. इसलिए इस बार 72 घंटे के सीजफायर की घोषणा के बावजूद लोगों को सुरक्षित निकाल पाना बहुत आसान नहीं होगा. फिर भी कहा जा सकता है कि इसके पहले के आपरेशनों में भारत ने जिन चुनौतियों का सामना किया है, वे अनुभव काम आएंगे और इस बार भी हम सफल रेस्क्यू कर पाएंगे.
1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान तो दुनिया का सबसे बड़ा निकासी अभियान भारत ने चलाया था. इसके लिए एयर इंडिया के विमानों ने लगातार 2 महीने से ज्यादा समय तक 500 से ज्यादा उड़ानें भरी थीं और 1.70 लाख भारतीयों को कुवैत से वापस लाया गया था. इस रेस्क्यू मिशन के लिए एयर इंडिया का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. सन् 2006 में इजराइल और लेबनान के बीच जंग छिड़ने के बाद दोनों देशों में बसे अपने लोगों को निकालने के लिए भारत ने ऑपरेशन सुकून उर्फ बेरूत सीलिफ्ट चलाया था, जिसमें 1764 भारतीयों समेत अन्य देशों के नागरिकों को मिलाकर कुल 2280 लोगों को निकाला गया था.
2011 में लीबिया में गृहयुद्ध के दौरान 15400 भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया तो 2015 में यमन से 4640 भारतीयों को रेस्क्यू किया गया था. नेपाल में भूकंप के दौरान भी भारत ने पांच हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला था. इन बचाव अभियानों के जरिये भारत ने साबित किया है कि भारतीय चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, संकट पड़ने पर सरकार उनका ध्यान रखती है और उनकी सुरक्षित निकासी के लिए हर संभव उपाय करती है. सूडान में आपरेशन कावेरी भी पिछले बचाव अभियानों की तरह सफल होगा, इसमें संदेह नहीं है.