‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ व्यवस्था एक साल में होगी शुरू, 22 राज्यों में 100% राशन दुकानों पर लगी पीओएस मशीनें

By भाषा | Updated: June 29, 2019 19:57 IST2019-06-29T19:57:03+5:302019-06-29T19:57:03+5:30

पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगले साल 30 जून 2020 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ व्यवस्था को बिना किसी देरी के लागू कर दिया जायेगा। हमने इस बारे में राज्यों को तेजी से काम आगे बढ़ाने के लिये पत्र लिखा है।’’

One year time given to states for the beginning of 'One nation, one ration card' system | ‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ व्यवस्था एक साल में होगी शुरू, 22 राज्यों में 100% राशन दुकानों पर लगी पीओएस मशीनें

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान। (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ व्यवस्था लागू करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 30 जून 2020 तक का समय दिया है। इस व्यवस्था के तहत कोई भी राशन कार्ड धारक देशभर में कहीं से भी सस्ता राशन खरीद सकता है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि दस राज्य पहले से ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की पात्रता के मामले में पोर्टेबिलिटी उपलब्ध करा रहे हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा शामिल हैं।

पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगले साल 30 जून 2020 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ व्यवस्था को बिना किसी देरी के लागू कर दिया जायेगा। हमने इस बारे में राज्यों को तेजी से काम आगे बढ़ाने के लिये पत्र लिखा है।’’ उन्होंने कहा कि नई प्रणाली से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि यदि कोई भी व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो उसे राशन मिलने में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिये। नई प्रणाली से फर्जी राशन कार्ड भी समाप्त होंगे।

पासवान ने आगे कहा कि तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा और मध्य प्रदेश सहित 11 राज्यों में राशन कार्ड धारकों के लिये राज्य के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की स्थिति में सस्ता राशन मिलना आसान होगा। इन राज्यों में राशन की दुकानों पर प्वायंट आफ सेल (पीओएस) मशीनें पहले से ही लगी हुई हैं। खाद्य मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन के एजेंडे में शामिल कार्यक्रमों में यह भी एक कार्यक्रम है। सरकार नवंबर 2016 के बाद से देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने के लिये प्रयासरत है। इस कानून के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को सस्ती दरों पर एक से तीन रुपये किलो के दाम पर राशन उपलब्ध कराया जाता है।

नयी प्रणाली को विस्तृत तौर पर समझाते हुए पासवान ने कहा कि लाभार्थियों को देशभर में किसी भी राशन की दुकान से सामान खरीदने के लिए अपना आधार कार्ड दिखाना होगा। यदि लाभार्थी किसी विशेष पंजीकृत दुकान से ही राशन लेने की इच्छा जाहिर करेगा तो उसका राशन कार्ड उसी दुकान से जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक प्रणाली के साथ करीब 89 प्रतिशत लाभार्थियों के आधार कार्ड का आंकड़ा जोड़ा जा चुका है। वहीं देशभर की 77 प्रतिशत राशन दुकानों पर पीओएस मशीनें लगायी जा चुकी हैं।

पासवान ने कहा कि 22 राज्यों में 100 प्रतिशत राशन दुकानों पर पीओएस मशीनें लग चुकी हैं। ऐसे में नयी प्रणाली को लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। दिल्ली में एक साल पहले पोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की गयी थी लेकिन फिर उसे बाद में बंद कर दिया गया। यह पूछे जाने पर कि यदि कोई लाभार्थी ऐसे राज्य में चला जाता हैं जहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मुफ्त राशन दिया जाता है तो इसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि ऐसे मामलों में उसे केंद्र सरकार द्वारा तय एक से तीन रुपये की दर पर ही राशन मिलेगा।

अधिकारी ने बताया कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि परिवार के किसी एक व्यक्ति के अन्य स्थान पर जाकर बस जाने की स्थिति में वह पूरे परिवार का राशन एक ही बार में नही ले ले, इसके लिए खरीदने की अधिकतम सीमा भी तय की जाएगी। ऐसे मामलों में लाभार्थी को अपने परिवार के कोटे से अधिकतम 50 प्रतिशत खरीदने की अनुमति होगी। यह व्यवस्था परिवार के अन्य सदस्यों को उनका हिस्सा लेने से वंचित नहीं करेगी। खाद्य मंत्रालय इस मामले में जल्द ही विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा।

पासवान ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर से 15 राज्यों के एक-एक जिले में पायलट परियोजना के तौर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पोषक तत्वों से युक्त चावल का वितरण किया जाएगा। खरीफ सत्र 2019 में उगाया जाने वाला चावल आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और बी12 से युक्त होगा। इसे मिलों में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के मानकों के अनुरूप पोषक तत्व युक्त बनाया जायेगा। यह योजना जनवरी में मंजूर की गई थी। 

Web Title: One year time given to states for the beginning of 'One nation, one ration card' system

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