One Nation, One Election: "मोदी जी 'I.N.D.I.A.' के डर से फर्जी बहस चला रहे हैं", संजय सिंह ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: September 3, 2023 10:20 IST2023-09-03T10:13:59+5:302023-09-03T10:20:52+5:30
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर जमकर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन से भयभीत होकर फर्जी बहस चला रहे हैं।

फाइल फोटो
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार के'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन से इतने भयभीत हो गये हैं कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का शगूफा छोड़कर फर्जी बहस चला रहे हैं।
आप नेता संजय सिंह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू किये जाने की व्यवहारिकता का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित किये जाने का तीखा विरोध किया और कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' से हार के डर के कारण नवंबर-दिसंबर में राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव भी करवाना चाहती है।
संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किये एक पोस्ट में कहा, "One Nation One Election पर मोदी सरकार की कमेटी, “डमी कमेटी” है। राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस कमेटी में न रखना उनका घोर अपमान है। इस कमेटी का कोई औचित्य नही। I.N.D.I.A. गठबंधन से घबराये मोदी जी One Nation One Election के नाम पर नक़ली बहस चला रहे हैं।"
One Nation One Election पर मोदी सरकार की कमेटी, “डमी कमेटी” है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 2, 2023
राज्य सभा में विपक्ष के नेता श्री @kharge जी को इस कमेटी में न रखना उनका घोर अपमान है।
इस कमेटी का कोई औचित्य नही।
India गठबंधन से घबराये मोदी जी (ONOE) के नाम पर नक़ली बहस चला रहे हैं।#जीतेगा_इंडिया_जायेगा_मोदीpic.twitter.com/hK76aWMtHa
इस बीच One Nation One Election को लेकर एक और बड़ी खबर आ रही है और वो यह है कि सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी इस समिति में शामिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और संजय कोठारी में से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति में नामित होने के कुछ ही घंटे बाद इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी इस पैनल में शामिल एकमात्र विपक्षी नेता थे।
लोकसभा में कांग्रेस की अगुवाई करने वाले अधीर रंजन चौघरी ने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे बेहद कड़े पत्र में कहा कि वह उस समिति का हिस्सा नहीं हो सकते, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा अभ्यास केवल आंख में धूल झोंकने के लिए है।
दरअसल समिति को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई है, उसमें स्पष्ट लिखा है कि समिति 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपायों को परखेगी और उससे संबंधित सिफारिश करेगी।
जानकारी के अनुसार अधीर रंजन चौधरी द्वारा समिति से नाम वापसी का फैसला कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर लिया गया है। हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के दलों की मंशा थी कि बतौर अधीर रंजन चौधरी विपक्ष को पैनल का हिस्सा होना चाहिए और 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ अपनी चिंताओं और आशंकाओं को उठाना चाहिए।
लेकिन कांग्रेस नेता चौधरी द्वारा गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखने से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया था कि वह समिति में अधीर रंजन चौधरी के नाम को शामिल किये जाने को सरकार की सकारात्मक दृष्टि नहीं मानती है और वह समिति का हिस्सा बनकर उसे किसी भी तरह से "वैधता" नहीं दे सकती है।
वहीं अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में लिखा, “मुझे अभी मीडिया के माध्यम से पता चला है और एक अधिसूचना सामने आई है कि मुझे केंद्र द्वारा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से संबंधी उच्च स्तरीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है।''
कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में आगे कहा है, "आम चुनाव से कुछ महीने पहले केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक रूप से संदिग्ध और एक अव्यावहारिक विचार को देश पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है, सरकार के इस तरह के गुप्त उद्देश्यों से गंभीर चिंता पैदा हो रही है। इसके अलावा, मुझे लगता है कि राज्यसभा में मौजूदा नेता विपक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) को समिति से बाहर रखा गया है। इससे संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का जानबूझकर अपमान किया गया है। इन परिस्थितियों में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”