कॉलेजियम पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा, "इसमें बहुत खामियां हैं, केंद्र एनजेएसी में बदलाव करते हुए फिर पेश करे विधेयक"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 16, 2022 05:15 PM2022-12-16T17:15:34+5:302022-12-16T17:20:59+5:30

राजद सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में कहा कि कॉलेजियम में कई तरह की खामियां हैं लिहाजा सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये गये राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) में नए बदलाव करते हुए नये विधेयक के तौर पर उसे दोबारा संसद में पेश करे।

On collegium, RJD MP Manoj Jha said, "There are many flaws in it, Center should introduce the bill again after making changes in NJAC" | कॉलेजियम पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा, "इसमें बहुत खामियां हैं, केंद्र एनजेएसी में बदलाव करते हुए फिर पेश करे विधेयक"

फाइल फोटो

Highlightsकॉलेजियम सिस्टम की आलोचना करते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा इसमें बहुत खामियां हैं राजद सांसद ने एनजेएसी में बदलाव करते हुए सरकार को दोबारा संसद में पेश करने के लिए कहासुप्रीम कोर्ट एनजेएसी को न्यायिक स्वतंत्रता के लिए घातक बताते हुए पहले ही खारिज कर चुकी है

दिल्ली: देश की उच्च न्यायिक सेवाओं में होने वाले जजों की नियुक्ति और उनके स्थानातंरण के लिए अपनाई जाने वाली मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली से असहमति जताते हुए राज्यसभा से राजद सांसद मनोज झा ने संसद के राज्यसभा में कहा कि कॉलेजियम में कई तरह की खामियां हैं लिहाजा सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये गये राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) में नए बदलाव करते हुए नये विधेयक के तौर पर उसे दोबारा संसद में पेश करे।

इसके साथ ही राजद सांसद मनोज झा ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक को संविधान के अनुरूप बनाने की जरूरत है ताकि न्यायिक नियुक्तियों में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। सांसद झा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार द्वारा 2014 में पेश किये एनजेएसी बिल को न्यायिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताये जाने पर भी सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से बेहतर बताते हुए उसे खारिज कर दिया था।

बीते कुछ समय से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच कॉलेजियम सिस्टम को लेकर काफी खींचतान चल रही है। इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का स्पष्ट मानना है कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरणों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है। लेकिन कॉलेजियम व्यवस्था के कारण अभी तक सरकार केवल उन्हीं व्यक्तियों को उच्च न्यायिक सेवाओं में बतौर जज नियुक्त कर पाती है, जिनकी अनुशांसा उच्चतम न्यायालय की ओर से की जाती है।

इस संबंध में कानून मंत्री रिजिजू ने कहा, "5 दिसंबर, 2022 तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव है और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कुल आठ प्रस्ताव सरकार के पास लंबित हैं।" उसके साथ ही उन्होंने कहा, "इन नियुक्तियों के अलावा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए ग्यारह प्रस्ताव हैं। वहीं एक मुख्य न्यायाधीश के स्थानांतरण और एक अन्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के संबंध में प्रस्ताव सरकार के पास विचारणनीय हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुशंसित करते हुए सरकार के पास भेजा गया है।"

सरकार की स्थिति के विषय में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि अभी के समय में केंद्र सरकार द्वारा कुल 256 प्रस्ताव उच्च न्यायालयों को भेजे गए हैं। उन्होंने कहा, "पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा उच्च न्यायालयों को कुल 256 प्रस्ताव भेजे गए हैं और यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह पर ही संबंधित उच्च न्यायालयों को भेजे गए हैं।"

Web Title: On collegium, RJD MP Manoj Jha said, "There are many flaws in it, Center should introduce the bill again after making changes in NJAC"

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