दिल्ली:बिहार सरकार द्वारा भारतीय प्राशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के सजायाफ्ता दोषी और बाहुबली नेता आनंद मोहन के आजीवन कारावास से माफी का फैसला विवादों के घेरे में आ गया है। 5 दिसंबर 1994 को आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया पर हमला करने वाली भीड़ की अगुवाई करने वाले आनंद मोहन को बिहार सरकार द्वारा विशेष प्रावधान के तहत कैदमुक्त किये जाने की आलोचना अब स्वयं दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने की है।
उमा देवी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि हम इस फैसले से खुश नहीं हैं, हमें लगता है कि यह गलत हुआ है। बिहार में जाति की राजनीति है। वह राजपूत है, इसलिए उन्हें जेल से निकाला जा रहा है ताकि राजपूत वोट मिल सकें वरना एक अपराधी को बाहर लाने की क्या जरूरत है। उन्हें चुनाव का टिकट दिया जाएगा ताकि वे राजपूत वोट ला सकें।
आनंद मोहन पटना की बेउर जेल में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। आरोप है कि नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए कैदियों के कारा नियमों में संशोधन किया और उसके बाद आनंद मोहन समेत कुल 27 दुर्दांत सजायाफ्ता कैदियों को को रिहा करने का आदेश दिया गया है। फिलहाल आनंद मोहन अपने बेटे और विधायक चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर हैं और अब वह हमेशा के लिए जेल की कैद से स्वतंत्र हो जाएंगे।
अपनी रिहाई के संबंध में आनंद मोहन ने कहा है कि बिहार सरकार ने उनकी सजा माफी के आदेश में किसी भी तरह के नियम का उल्लंघन नहीं किया है। वैसे रिहाई के बाद भी आनंद मोहन चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। किसी जमाने में बिहार पीपुल्स पार्टी चलाने वाले आनंद मोहन लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत सजा मुक्त होने के 6 साल बाद ही चुनाव लड़ पाएंगे।