जम्मू कश्मीर में एक सिख महिला के अपनी एक किडनी मुस्लिम सहेली को दान देने की इच्छा के बाद उसके विकलांग पिता ने अपनी बेटी से उसकी चिकित्सीय हालत को ध्यान में रखते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.
पिता ने इस मामले में राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा, कि जब अख्तर की मां किडनी देने के लिए चिकित्सीय रूप से फिट है तो वे मेरी बेटी को मजबूर क्यों कर रहे हैं.
सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजोत सिंह कोहली (23) ने हाल ही में राजौरी जिले की अपनी 22 वर्षीय मुस्लिम दोस्त समरीन अख्तर को एक किडनी दान देने का फैसला सार्वजनिक किया लेकिन साथ ही कहा कि उसके परिवार को इस पर आपत्ति है और श्रीनगर का एक अस्पताल इस प्रक्रिया में देरी कर रहा है.
मंजोत के पिता गुरदीप सिंह 75 प्रतिशत तक विकलांग हैं और वह चलने में असमर्थ हैं. परिवार की सहमति नहीं गुरदीप सिंह ने उधमपुर स्थित अपने आवास पर मीडिया से कहा, ''मैं हाथ जोड़कर अपनी बेटी से मुझे परेशानी से राहत दिलाने के लिए इस योजना को छोड़ने का अनुरोध करता हूं.
जैसा कि आपको मेरी चिकित्सीय हाल के बारे में पता है और उसके बाद कोई भी मेरी देखभाल करने वाला नहीं है.'' उन्होंने सौरा के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को पहले ही एक नोटिस भेजा है जिसमें अपनी बेटी के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि परिवार की सहमति नहीं है.
किडनी दान देने के बाद कोई नहीं पूछेगा गुरदीप सिंह ने कहा वह जो कर रही है वह गैरकानूनी है क्योंकि वह खून के रिश्ते के अलावा किसी और को किडनी दान नहीं दे सकती. उन्होंने कहा कि लोग उनकी बेटी के फैसले का स्वागत कर रहे हैं लेकिन मैं जानता हूं कि यह कुछ समय के लिए है और किडनी दान देने के बाद कोई उसे पूछेगा तक नहीं. किडनी दान देने के बाद कोई उससे शादी नहीं करेगा.\
कभी नहीं देखूंगा पिता की शक्ल, दान करूंगी कीडनी
अपने पिता के जवाब में युवती ने कहा है कि वह अपने पिता की शक्ल अब कभी नहीं देखेगी। उसने कहा, 'जो आप चाहते थे वैसा हो गया, अब मैं कभी आपकी शक्ल नहीं देखूंगी।' हालांकि अभी भी वह किडनी देने की बात पर अड़ी है। लेकिन अब यह फैसला राज्यपाल के पास है। वे भी अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं।