लॉकडाउन में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या घटी, दिल्ली के निगमबोध घाट पर शव दाह की संख्या हुई आधी
By नितिन अग्रवाल | Updated: May 4, 2020 07:13 IST2020-05-04T07:13:53+5:302020-05-04T07:13:53+5:30
भारत में कोरोना वायरस से 1,306 लोगों की मौत हो चुकी है. संक्रमितों की संख्या 40,263 हो गई है। जिसमें से 28070 एक्टव केस हैं और 10886 ठीक हो चुके हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: लॉकडाउन के चलते राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या में कमी आई है. निगमबोध घाट, लोदी रोड, पंजाबी बाग, गाजीपुर और गीता कॉलोनी समेत आठ बड़े श्मशान घाटों में दाह संस्कार के लिए आनेवाले शवों की संख्या 30 से 40 फीसदी घटी है. दिल्ली के सबसे बड़े निगमबोध घाट पर लॉकडाउन के दौरान शव दाह की संख्या आधी हो गई है. यहां के प्रधान सुमन कुमार गुप्ता ने बताया कि सामान्य दिनों में हर रोज औसतन 55 शव दाह संस्कार के लिए लाए जाते थे लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 30-32 रह गई है.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी 20-25 शवों की जगह एक से दो शव ही आते हैं
इसके अलावा लोदी रोड, पंजाबी बाग, गाजीपुर और गीता कॉलोनी श्मशान घाटों पर भी दाह संस्कार में 30 से 50 फीसदी की कमी आई है. गीता कॉलोनी के श्मशान घाट में भी यही हाल है. यहां भी हर रोज आने वाले शवों की संख्या 20 से घटकर अब 09-11 रह गई है. यूपी, राजस्थान में श्मशान घाटों में सन्नाटा उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के बैकुंठ धाम में भी पहले हर रोज 20-25 शवों का अंतिम संस्कार होता था वहां भी अब केवल एक-दो अंतिम संस्कार ही हो रहे हैं.
राजस्थान के जयपुर में भी अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या में कमी आई है
इसी तरह राजस्थान के जयपुर में भी श्मशान घाट के प्रबंधकों का कहना है कि पहले रोज लगभग 10 शव आते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 4-5 रह गई है. श्मशान घाटों पर विशेष सतर्कता कोरोना के चलते दिल्ली में कुछ को छोड़कर ज्यादातर श्मशान घाटों को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है और दाह संस्कार में शामिल होने वाले लोगों को भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं.
28% कम हुआ मौत का आंकड़ा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आम तौर पर दिल्ली में हर रोज 340 से अधिक मौतें होती हैं. इनमें सड़क दुर्घटना से रोजाना औसतन 5 और करीब 90 मामलों में मौत बीमारी या सर्जरी के दौरान होती थी. जिसमें 28% तक की कमी आई है.