'देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम', भूमि विवाद पर CM ममता बनर्जी के समर्थन से भावुक हुए नोबेल विजेता अमर्त्य सेन

By स्वाति सिंह | Updated: December 28, 2020 17:48 IST2020-12-28T17:44:57+5:302020-12-28T17:48:48+5:30

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सेन ने एक इंटव्यू में केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया। इसके साथ ही, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक ‘‘मजबूत आधार’’है।

Nobel laureate Amartya Sen gets emotional with support of CM Mamata Banerjee on land dispute | 'देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम', भूमि विवाद पर CM ममता बनर्जी के समर्थन से भावुक हुए नोबेल विजेता अमर्त्य सेन

'देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम', भूमि विवाद पर CM ममता बनर्जी के समर्थन से भावुक हुए नोबेल विजेता अमर्त्य सेन

Highlightsअमर्त्य सेन ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के भूमि विवाद में समर्थन को लेकर CM ममता बनर्जी का आभार जताया है। 87 वर्षीय अमृत्य सेन ने इन रिपोर्ट्स को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस विवाद के बारे में उन्हें मीडिया से पता चला और यूनिवर्सिटी को कोई जमीन से उनका कोई ताल्लुकात नहीं है।

कोलकाता: नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के भूमि विवाद में समर्थन को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार जताया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्व भारती यूनिवर्सिटी ने शिक्षा मंत्रालय को लिखते हुए कैंपस की जमीन के अतिक्रमण करने वालों की सूची भेजी, जिसमें प्रोफेसर अमर्त्य सेन का भी नाम था। 87 वर्षीय अमृत्य सेन ने इन रिपोर्ट्स को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस विवाद के बारे में उन्हें मीडिया से पता चला और यूनिवर्सिटी को कोई जमीन से उनका कोई ताल्लुकात नहीं है।

सेन का शांतिनिकेतन  के अंदर एक पारिवारिक घर प्रातिची है, जो उनकी नानी क्षितिमोहन सेन ने बनवाया था, क्षिति विद्वान होने के साथ गुरु रवींद्र नाथ टैगोर की सहायक थीं। सेन ने पत्र में लिखा, "मैं न केवल बेहद भावुक हूं बल्कि बेहद आश्वस्त भी हूं कि व्यस्ततम जीवन के बावजूद आप उन लोगों के बचाव में आगे आई हैं, जो निशाने पर हैं। आपकी मजबूत आवाज और इस बात की समझ कि क्या मौजूदा दौर में क्या चल रहा है, वह मेरे लिए शक्ति का बड़ा स्रोत है।" 

हालांकि, अक्सर सेन की आलोचना के केंद्र में रहने वाली भाजपा ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सेन ने एक इंटव्यू में केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया। इसके साथ ही, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक ‘‘मजबूत आधार’’है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘असहमति और चर्चा की गुंजाइश कम होती जा रही है। लोगों पर देशद्रोह का मनमाने तरीके से आरोप लगा कर बगैर मुकदमा चलाए जेल भेजा जा रहा है।’’उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद जैसे युवा कार्यकर्ताओं के साथ अक्सर दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया है।

 

Web Title: Nobel laureate Amartya Sen gets emotional with support of CM Mamata Banerjee on land dispute

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