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Nizamuddin Markaz Event: तबलीगी प्रकरण के समय 1640 विदेशी जमाती भारत में थे, 64 कोरोना संक्रमित, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा

By भाषा | Updated: May 15, 2020 18:22 IST

गौरतलब है कि देश में लॉकडाउन घोषित होने के समय दिल्ली के निजामुद्दीन स्थिति तबलीगी जमात के मरकज में सैकड़ों लोग मौजूद थे और बाद में उनमें से कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए।

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ठळक मुद्देविभिन्न देशों के दूतावासों-उच्चायोगों की मदद से तबलीगी जमात से जुड़े लोगों का ब्यौरा एकत्र किया। कुल 1640 विदेशी जमाती थे और इनमें सिर्फ 64 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए और दो लोगों की मौत हुई।’’

नई दिल्लीः देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शुक्रवार ने कहा कि उसकी ओर से एकत्र किए गए आंकड़े के मुताबिक, तबलीगी जमात प्रकरण के समय देश में कुल 1640 विदेशी जमाती मौजूद थे जिनमें से 64 ही कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए व दो की मौत हुई।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के अनुसार, मार्च महीने के आखिर में तबलीगी जमात प्रकरण के बाद , मुस्लिम संगठन ने अपने पदाधिकारियों और विभिन्न देशों के दूतावासों-उच्चायोगों की मदद से तबलीगी जमात से जुड़े लोगों का ब्यौरा एकत्र किया।

मदनी ने अपने संगठन की ओर से एकत्र आंकड़े जारी करते हुए कहा, ‘‘ऐसा प्रचार किया गया कि देश में मौजूद विदेशी जमातियों ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाया और ये सभी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। जबकि ऐसा नहीं है। कुल 1640 विदेशी जमाती थे और इनमें सिर्फ 64 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए और दो लोगों की मौत हुई।’’

उन्होंने कहा कि जिन दो विदेशी जमातियों की मौत हुई उनमें से एक की मौत तमिलनाडु में और दूसरे की दिल्ली में हुई। जमीयत के मुताबिक, इन विदेशी जमातियों में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन, थाईलैंड, वियतनाम, आस्ट्रेलिया, किर्गिस्तान समेत 47 देशों के नागरिक थे तथा इनमें से कई फिलहाल जेल में बंद हैं।

उच्च न्यायालय को बताया गया : दिल्ली सरकार तबलीगी जमात के सदस्यों को पृथक-वास से छुट्टी देगी

दिल्ली उच्च न्यायालय को शुक्रवार को सूचित किया गया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने तबलीगी जमात के उन सदस्यों को रिहा करने का फैसला किया है जिन्होंने आवश्यक पृथक-वास अवधि पूरी कर ली है और जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं हैं। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह हलफनामा दिया गया। याचिका में मांग की गई थी कि तबलीगी जमात के करीब 3300 सदस्यों को रिहा किया जाए जिन्हें करीब 40 दिनों से अलग-अलग पृथक-वास केंद्रों में रखा गया है और कोविड-19 की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद उन्हें छुट्टी नहीं दी जा रही है।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे याचिका को वापस लेना चाहते हैं क्योंकि दिल्ली सरकार ने तबलीगी जमात के ऐसे सदस्यों को रिहा करने का निर्णय कर लिया है जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं हैं।

अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता सबीहा कादरी को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। वकील शाहिद अली के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि काफी संख्या में लोगों को अवैध रूप से पृथक-वास केंद्रों में रखा गया है और उन केंद्रों में रहने वाले कई लोगों ने अधिकारियों को पत्र लिखा है लेकिन उन पर विचार नहीं किया गया।

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