निर्भया मामला: मोदी सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का चारों दोषियों को नोटिस, डेथ वारंट जारी कराने के लिए कोर्ट ने दिया सुझाव
By अनुराग आनंद | Updated: February 11, 2020 18:36 IST2020-02-11T18:36:27+5:302020-02-11T18:36:27+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये नयी तारीख तय कराने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार को निचली अदालत जाने की छूट प्रदान की है।

निर्भया मामले में कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को दिया सुझाव
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र की अपील पर मंगलवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चारों दोषियों को नोटिस जारी किये। केन्द्र ने इन मुजरिमों की मौत की सजा के अमल पर रोक के खिलाफ उसकी याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। इस बीच, विनय शर्मा ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज करने के एक फरवरी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। शीर्ष अदालत ने चारों दोषियों को मौत होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये नयी तारीख लेने के लिये प्राधिकारियों को निचली अदालत जाने की छूट प्रदान की है।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि दोषियों की सजा पर अमल के लिये निचली अदालत द्वारा नयी तारीख निर्धारित करने में केन्द्र और दिल्ली सरकार की लंबित अपील बाधक नहीं होगी। केन्द्र और दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषियों की मौत की सजा पर अमल ‘खुशी’ के लिये नहीं है लेकिन प्राधिकारी तो सिर्फ कानून के आदेश पर अमल कर रहे हैं। मौत की सजा के अमल में विलंब के दोषियों के हथकंडों का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि इनमें से तीन दोषी कानून में उपलब्ध सारे कानूनी विकल्प अपना चुके हैं जबकि चौथे दोषी पवन ने अभी तक शीर्ष अदालत में न तो सुधारात्मक याचिका दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय को समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखना होगा क्योंकि दोषियों की अपील शीर्ष अदालत में 2017 में खारिज होने के बावजूद प्राधिकारी अब उनकी मौत की सजा के अमल के लिये संघर्ष कर रहे हैं। मेहता ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी जलाकर हत्या करने के चारों आरोपियों को कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना का भी जिक्र कया और कहा कि जनता ने इसका जश्न मनाया था क्योंकि लोगों का अब व्यवस्था मे विश्वास खत्म होने लगा है। न्यायालय ने शुरू में कहा कि दोषियों को नोटिस जारी करने से इस मामले में और विलंब होगा लेकिन बाद में उसने केन्द्र और दिल्ली सरकार की अपील पर उन्हें नोटिस जारी कर दिये।
इस मामले की सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ से कहा कि इस मामले में ‘‘राष्ट्र के धैर्य की परीक्षा हो रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अक्षय कुमार और विनय कुमार शर्मा की दया याचिकायें पहले ही खारिज हो चुकी है और चौथे दोषी ने न तो सुधारात्मक याचिका दायर की है और न ही दया याचिका दायर की है। इस बीच, विनय शर्मा ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज करने के एक फरवरी के फैसले को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। याचिका में मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का भी अनुरोध किया गया है।
मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘पवन ने सुधारात्मक याचिका या दया याचिका दायर नहीं करने का रास्ता चुना है। सवाल यह है कि क्या प्राधिकारियों को अनंतकाल तक इंतजार करना होगा।’’ इस पर पीठ ने कहा कि किसी को भी विकल्प का सहारा देने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता। मेहता ने कहा कि मुद्दा यह है कि ऐसा भी हो सकता है कि एक दोषी पांच साल तक कुछ नहीं करे और फिर बाकी शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सजा के अमल में विलंब के आधार पर इसे उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध करें। केन्द्र ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि इस मामले के सभी दोषियों को अलग अलग नहीं बल्कि एक साथ ही फांसी देनी होगी। उच्च न्यायालय ने दोषियों को अपने सभी विकल्प अपनाने के लिये एक सप्ताह का समय दिया था। केन्द्र ने कहा कि यदि दोषी सात दिन के भीतर कोई याचिका दायर नहीं करते हैं तो संबंधित प्राधिकारी बगैर किसी विलंब के इस मामले में कानून के अनुसार कदम उठायेंगे। निचली अदालत ने इन दोषियों की फांसी की सजा पर अमल के लिये नयी तारीख निर्धारित करने के लिये दिल्ली सरकार और जेल प्राधिकारियों की अर्जियां शुक्रवार को खारिज कर दीं थीं।
अदालत ने चारों दोषियों -मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार की मौत की सजा पर अगले आदेश तक के लिये 31 जनवरी को रोक लगा दी थी। ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं।