एनजीटी ने मुरादाबाद के एक जैवचिकित्सा अपशिष्ट शोधन संयंत्र पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
By भाषा | Updated: August 13, 2021 20:45 IST2021-08-13T20:45:53+5:302021-08-13T20:45:53+5:30

एनजीटी ने मुरादाबाद के एक जैवचिकित्सा अपशिष्ट शोधन संयंत्र पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
नयी दिल्ली, 13 अगस्त राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक जैवचिकित्सा अपशिष्ट शोधन संयंत्र पर पर्यावरण मंजूरी से संबंधित तथ्यों को छिपाने को लेकर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली एक पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड, राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अधिकारियों एवं मुरादाबाद के जिलाधिकारी की एक समिति भी गठित की।
अधिकरण ने कहा कि प्रतिवादियों के वकील यह स्पष्ट नहीं कर पाये कि पर्यावरण मंजूरी के लिये आवदेन की प्रति क्यों पेश नहीं की गयी जबकि उक्त दस्तावेज उत्तर प्रदेश के राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) एवं परियोजना के प्रस्तावक के पास आसानी से उपलब्ध हैं।
हरित पैनल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एसईआईएए ने इस आधार पर कारण बताओ नोटिस किया था कि पर्यावरण मंजूरी मांगते समय तथ्य छिपा लिये गये थे लेकिन बाद में उसने अपना रूख बदल लिया। उसने कहा कि परियोजना प्रस्तावक ने भी बिना किसी वैध कारण के प्रासंगिक रिकार्ड रोक लिये।
अधिकरण ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए और यह भी कि परियोजना प्रस्तावक ने पर्यावरण मंजूरी मांगते हुए इस प्रासंगिक सूचना को छिपाया तथा एसईआईएए, उप्र का बदला रुख भी उसी कारण से अस्वीकार्य है।
पीठ ने कहा, ‘‘ हमें यह भी लगता है कि अतिरिक्त शर्तें पर्यावरण की रक्षा के लिए काफी नहीं हैं। तद्नुसार, हम मानते हैं कि महत्वपूर्ण तथ्य छिपाये गये, जिसके लिये परियोजना प्रस्तावक को जिम्मेदार मानते हुए हम उसपर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं, जिसे एक महीने में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराया जाए।’’
अधिकरण उत्तर प्रदेश के निवासी राकेश कुमार एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया है कि मुरादाबाद के फतेहपुर विश्नोई गांव में सुशीला बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट को दिशानिर्देशों के विपरीत पर्यावरण मंजूरी दी गयी।
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