कश्मीर में खौफ का ऐसा माहौल 1990 के बाद से कभी नहीं देखा: पीएजीडी

By भाषा | Updated: October 8, 2021 20:07 IST2021-10-08T20:07:45+5:302021-10-08T20:07:45+5:30

Never seen such an atmosphere of fear in Kashmir since 1990: PAGD | कश्मीर में खौफ का ऐसा माहौल 1990 के बाद से कभी नहीं देखा: पीएजीडी

कश्मीर में खौफ का ऐसा माहौल 1990 के बाद से कभी नहीं देखा: पीएजीडी

श्रीनगर, आठ अक्टूबर गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर में आम निवासियों की हत्या की हालिया घटनाओं ने डर का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है जो 1990 के दशक की शुरुआत के बाद से कभी नहीं देखा गया था। पीएजीडी ने मौजूदा हालात के लिये सरकारी नीतियों की “विफलता” को जिम्मेदार ठहराया।

पीएजीडी के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर एक बैठक बुलाई गई।

बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने शिरकत की।

प्रवक्ता ने कहा कि पीएजीडी ने घाटी में हाल में हुई निर्दोष लोगों की हत्या की निंदा की।

उन्होंने कहा, “इन हत्याओं ने कश्मीर में डर का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है जो 90 के दशक की शुरुआत के बाद से कभी नहीं देखा गया था। जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति सरकार की नीतियों की विफलता का परिणाम है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है।''

तारिगामी ने कहा कि चाहे नोटबंदी हो या अनुच्छेद 370 को हटाना, इन फैसलों को कश्मीर में आतंकवाद और अलगाव की समस्याओं के समाधान के रूप में देश के सामने पेश किया गया।

उन्होंने कहा, “आज, यह बात साफ हो गई है कि न तो विमुद्रीकरण और न ही अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ। वास्तव में, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के कुछ हालिया फैसलों ने केवल उन समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ाने का काम किया है जो एक-दूसरे के साथ शांति से रह रहे थे।''

पीएजीडी के प्रवक्ता ने कहा कि एक अनुकूल सुरक्षा माहौल बनाना भारत सरकार की जिम्मेदारी है तो वहीं जम्मू-कश्मीर के जिम्मेदार राजनीतिक दलों के रूप में हम संदेह और भय के स्तर को कम करने में अपनी भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘’यह सच है कि कश्मीर में मरने वाले अधिकांश लोग मुसलमान थे। लेकिन ऐसा कहकर हम अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित लोगों को सुरक्षित महसूस कराने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। हम घाटी छोड़ने की सोच रहे लोगों से उनके फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हैं।

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