NCPCR ने स्कूलों को पत्र लिखकर कहा- 'रक्षा बंधन के दौरान राखी, तिलक या मेहंदी लगाए छात्रों को न दें सजा'
By आजाद खान | Published: August 31, 2023 08:08 AM2023-08-31T08:08:52+5:302023-08-31T08:33:49+5:30
त्योहारों के दौरान स्कूलों द्वारा बच्चों को दिए जाने वाले सजा पर एनसीपीसीआर ने कहा कि “यह ध्यान दिया जा सकता है कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड निषिद्ध है।”
नई दिल्ली: बाल अधिकार पैनल एनसीपीसीआर ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों से एक आग्रह किया है। अपने आग्रह में एनसीपीसीआर ने कहा है कि रक्षा बंधन जैसे त्योहार के दौरान स्कूल परिसर के अंदर राखी, तिलक या मेहंदी पहनने पर छात्रों को सजा न दें।
बता दें कि देश भर में ऐसे कई मामले सामने आए है जिसमें इस तरह के त्योहारों में शामिल होने के लिए बच्चों को परेशान किया जाता था और सजा भी दी जाती थी। ऐसे में एनसीपीसीआर द्वारा देश भर के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिवों को संबोधित करते हुए एक आधिकारिक पत्र लिखा गया है और यह आग्रह किया गया है।
एनसीपीसीआर ने आधिकारिक पत्र में क्या कहा है
एनसीपीसीआर ने एक आधिकारिक पत्र में यह कहा है कि "पिछले कुछ वर्षों में, आयोग ने विभिन्न समाचार रिपोर्टों के माध्यम से देखा है कि त्योहारों के उत्सव के कारण बच्चों को स्कूल शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा उत्पीड़न और भेदभाव का शिकार होना पड़ता है।"
यही नहीं एनसीपीसीआर ने पत्र में आगे यह भी कहा है कि "यह देखा गया है कि स्कूल रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान बच्चों को राखी या तिलक या मेहंदी लगाने की इजाजत नहीं देते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाता है।"
एनसीपीसीआर ने दिया कानून का हवाला
मामले में बोलते हुए एनसीपीसीआर ने आरटीई अधिनियम, 2009 का हवाला दिया और कहा कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 स्कूलों में शारीरिक दंड पर रोक लगाती है। एनसीपीसीआर ने कहा, “यह ध्यान दिया जा सकता है कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड निषिद्ध है।”
ऐसे में इस पर बोलते हुए शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने कहा कि “इसलिए, संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि स्कूल ऐसी किसी भी प्रथा का पालन न करें जिससे बच्चों को शारीरिक दंड या भेदभाव का सामना करना पड़े।”