मुंबई: एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र का संज्ञान लिया और कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, इस बात के प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि मलिक सीधे और जानबूझकर कुर्ला में स्थित गोवावाला कंपाउंड पर कब्जा करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश में शामिल थे। इसके साथ ही अदालत ने मलिक और 1993 के बम विस्फोट मामले के आरोपी सरदार शाहवाली खान के खिलाफ एक प्रक्रिया जारी की है, जिसका नाम भी इस मामले में है।नवाब मलिक को पीएमएलए की धारा 3 और धारा 4 के तहत आरोपी बनाया गया है।
विशेष न्यायाधीश राहुल एन रोकडे ने अपने आदेश में कहा है कि मलिक ने डी-कंपनी के सदस्यों; हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर मुनीरा प्लंबर की प्रमुख संपत्ति को हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि आरोपी सीधे और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग अपराध में शामिल हैं इसलिए वो पीएमएलए की धारा 3 और धारा 4 के तहत आरोपी हैं।
ईडी ने आरोप पत्र में उल्लेखित किया है कि नवाब मविक ने गोवावाल परिसर के सर्वेक्षण के लिए सरदार शाहवाली खान की मदद ली थी। और हसीना पारकर और सरदार के साथ उसपर कब्जा करने के लिए बैठक की थी। चार्जशीट में सरदार खान के बयान भी दर्ज है। जिसमें उसने कहा ता कि मुनीरा प्लम्बर की ओर से गोवावाला कंपाउंड का किराया लेने वाला उसका भाई रहमान था। और नवाब मलिक अपने भाई असलम मलिक के जरिए गोवावाला परिसर में कुर्ला जनरल स्टोर पर कब्जा कर लिया था। गौरतलब बात है कि सरदार खान 1993 के विस्फोटों के मामले में औरंगाबाद जेल में बंद है। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मलिक से उसकी मीटिंग तब हुई थी जब वह पैरोल पर बाहर आया था।
उक्त घटना के बारे में आधिकारिक आदेश प्रति में कहा गया है, "एनआईए द्वारा दाऊद इब्राहिम कासकर और अन्य के खिलाफ अधिनियम, 1967 आईपीसी की धारा 120 बी और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) की धारा 17, 18, 20, 21, 38 और 40 के तहत 3 फरवरी, 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह आरोप लगाया जाता है कि दाऊद इब्राहिम कास्कर, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है, एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क चलाता है जिसका नाम डी कंपनी है, जो विभिन्न आतंकवादी / आपराधिक गतिविधियों में शामिल है। जैसे हथियारों की तस्करी, नार्को-आतंकवाद, अंडरवर्ल्ड की गतिविधियाँ, मनी-लॉन्ड्रिंग, FICN का प्रचलन, आतंकी फंड जुटाने के लिए प्रमुख संपत्तियों का अनधिकृत कब्जा / अधिग्रहण और LeT, JeM और अल-कायदा सहित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के साथ सक्रिय सहयोग में काम कर रहा है।