युवा अवस्था में जनजातीय समाज के बीच काम करने का अनुभव जीवनभर काम आएगा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान बोले

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 10, 2022 08:27 PM2022-05-10T20:27:53+5:302022-05-10T20:29:17+5:30

अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मेघालय, उड़ीसा महाराष्ट्र आदि राज्यों के विश्वविद्यालयों से छात्रों ने आवेदन किए थे। आयोग द्वारा चुने गए इन छात्रों को पहले एक सप्ताह तक  जनजाति समाज और उससे संबंधित विषयों के बारे में जानकारी देने के बाद जनजातीय क्षेत्रों में भेजा गया था।

National Commission for Scheduled Tribes Chairman Harsh Chauhan says experience working tribal society young age handy for life | युवा अवस्था में जनजातीय समाज के बीच काम करने का अनुभव जीवनभर काम आएगा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान बोले

दरअसल जनजातीय समाज के बारे में जो धारणाएं हैं वास्तविकता बिल्कुल उससे परे है।

Highlightsजीवनशैली को देखना युवाओं के लिए बेहद जरूरी है। अनुभव है जो जीवनभर उनके साथ रहेगा। प्रशासन में आएंगे तो जाहिर सी बात है कि नीतियां भी वह ही बनाएंगे।

नई दिल्लीः राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में इंटर्नशिप प्रोग्राम के समापन समारोह में कहा कि जब मैं खुद छात्र था तो तब देखता था कि हमारे दोस्त जनजातीय समाज के बारे में क्या सोचते हैं।

हर्ष चौहान ने कहा कि जनजातीय समाज के बीच जाकर उनके रहन सहन और उनकी जीवनशैली को देखना युवाओं के लिए बेहद जरूरी है। यह एक अनुभव है जो जीवनभर उनके साथ रहेगा। अब यदि कोई छात्र इस पर प्रश्न करता है कि इसका उसे या अन्य छात्रों को फायदा। तो इसका उत्तर यह है कि जो आज छात्र हैं आने वाले समय में जब वह प्रशासन में आएंगे तो जाहिर सी बात है कि नीतियां भी वह ही बनाएंगे।

उसमें उनका यह अनुभव उनके जीवनभर काम आएगा। छात्रों ने जनजातीय समाज के बीच रहकर जो देखा और समझा वह अपने अनुभव भी आयोग के साथ साझा करेंगे। हो सकता है कि हमें भी इससे कुछ नई बातें पता लगें। उन्होंने कहा कि दरअसल जनजातीय समाज के बारे में जो धारणाएं हैं वास्तविकता बिल्कुल उससे परे है।

जनजातीय समाज से लोगों को सीखने की जरूरत है। बड़ी समस्या यह है कि जनजातीय समाज को लोग समझ ही नहीं पाए। यह दरअसल अंग्रेजों द्वारा बनाई गई शिक्षा प्रणाली के चलते भी है जिसके माध्यम से वह    देश पर अपने हिसाब से शासन करते थे। जनजातीय समाज के बारे में जो धारणाएं हैं उनके बदलने की जरूरत है।

बता दें कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग  ने  छात्रों के लिए एक इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया है। ताकि  जनजातीय समाज के बारे में छात्र बारीकी से जान सकें। ऐसा पहली बार  कि आयोग की तरफ ऐसी पहल की गई। इस प्रोग्राम के तहत देशभर के विभिन्न राज्यों से छात्रों ने आवदेन किए थे। इनमें से 21 छात्रों को तीन माह की इंटर्नशिप के लिए चुना गया है।

छात्रों के आने—जाने और रहने की व्यवस्था आयोग द्वारा की गई थी। अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मेघालय, उड़ीसा महाराष्ट्र आदि राज्यों के विश्वविद्यालयों से छात्रों ने आवेदन किए थे। आयोग द्वारा चुने गए इन छात्रों को पहले एक सप्ताह तक  जनजाति समाज और उससे संबंधित विषयों के बारे में जानकारी देने के बाद जनजातीय क्षेत्रों में भेजा गया था।

छात्र उत्तराखंड के चमोली, तेलंगाना के अदिलाबाद, मध्यप्रदेश के झाबुआ, ओडिशा के क्योंझर, छत्तीसगढ़ के जसपुर, महाराष्ट्र के पालघर, झारखंड के गुमला व मेघालय में जाकर तीन महीने तक जनजातीय समाज के लोगों के साथ रहकर उनके बीच काम किया और जनजातीय समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर रिपोर्ट तैयार की है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनंत नायक, आयोग की सेक्रेटरी अलका तिवारी मानवधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मुळे, ओएनजीसी फाउंडेशन की सीईओ डीएम किरण समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Web Title: National Commission for Scheduled Tribes Chairman Harsh Chauhan says experience working tribal society young age handy for life

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