संसदीय दल का नेता बनकर इशारों-इशारों में ही पीएम मोदी ने कांग्रेस पर कर दिया बड़ा प्रहार, जानें क्या कहा
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: May 25, 2019 09:00 PM2019-05-25T21:00:09+5:302019-05-25T21:03:21+5:30
पीएम मोदी ने नाम लिए बिना उपेक्षा का शिकार, दबे, कुचले, वंचित, शोषित, दलित और गरीब लोगों की बात करते हुए कहा, ''पांच साल के कार्यकाल में हम कह सकते हैं कि हमने गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो - एएनआई)
लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने शनिवार (25 मई) को पीएम नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुन लिया। उन्हें एनडीए दल का नेता भी चुना गया। पीएम मोदी ने सभी नव-निर्वाचित सांसदों का आभार व्यक्त करते हुए दिल्ली स्थित सेंट्रल हॉल में एक लंबा भाषण दिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए नेताओं को नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ाया और उन्हें वीआईपी कल्चर से दूर रहने की नसीहत दी। साथ ही इशारों-इशारों में कांग्रेस पर बड़ा प्रहार किया।
उन्होंने बिना नाम लिए बिना उपेक्षा का शिकार, दबे, कुचले, वंचित, शोषित, दलित और गरीब लोगों की बात करते हुए कहा, ''पांच साल के कार्यकाल में हम कह सकते हैं कि हमने गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं।
देश पर इस गरीबी का जो टैग लगा है, उससे देश को मुक्त करना है। गरीबों के हक के लिए हमें जीना-जूझना है, अपना जीवन खपाना है। गरीबों के साथ जैसा छल हुआ, वैसा ही छल देश की माइनॉरिटी के साथ हुआ है।
दुर्भाग्य से देश की माइनॉरिटी को उस छलावे में ऐसा भ्रमित और भयभीत रख गया है, उससे अच्छा होता कि माइनॉरिटी की शिक्षा, स्वास्थ्य की चिंता की जाती। 2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है। हमें विश्वास जीतना है।''
पीएम मोदी ने यह भी कहा, ''संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हम सबको मिलकर 21वीं सदी में हिंदुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है।''
इस मौके पर पीएम मोदी ने 'सबका साथ, सबका विकास' नारे का अपग्रेडेड वर्जन पेश किया। उन्होंने कहा, ''सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास ये हमारा मंत्र है। सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है।
हम चाहे भाजपा या एनडीए के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण। हमारे लिए और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए सेवा भाव से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता है।''