आपसी सहमति से सुलझाएं छोटे-मोटे मामले, हाईकोर्ट ने कहा-घरेलू हिंसा सबसे आगे, आखिर क्या है पूरा मामला

By सौरभ खेकडे | Published: March 8, 2022 06:47 PM2022-03-08T18:47:25+5:302022-03-08T18:48:10+5:30

बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शहर के मानकापुर निवासी एक परिवार पर दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है. 

nagpur high court Solve small matters mutual consent domestic violence fore bahu sasur sash husband devar | आपसी सहमति से सुलझाएं छोटे-मोटे मामले, हाईकोर्ट ने कहा-घरेलू हिंसा सबसे आगे, आखिर क्या है पूरा मामला

अदालत में याचिका लंबित रहते समय दूसरी ओर पति-पत्नी ने अपने बच्चे के भविष्य को देखते हुए विवाद खत्म करने की सहमति बनाई थी.

Highlightsससुराल वालों पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.आरोपियों पर भादवि 498-ए, 325, 342, 504 व 34 के तह मामला दर्ज किया था. आरोपियों ने एफआईआर खारिज करने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी.

नागपुरः अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कहा है कि यदि पक्षकारों में निजी स्वरूप का विवाद है और इसे वे आपसी तालमेल से ही सुलझाना चाहे, तो यह तरीका सर्वोत्तम है. विशेष कर घरेलू हिंसा जैसे मामलों में यह तरीका कारगर है.

अगर दोनों पक्ष आपस में सहमति बना लें, तो अदालत को भी आपराधिक मुकदमा रद्द करने में कोई परहेज नहीं होनी चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय का भी यहीं मत है इससे बचने वाला समय दूसरे मुकदमों की सुनवाई में दिया जाना चाहिए. इस निरीक्षण के साथ बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शहर के मानकापुर निवासी एक परिवार पर दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है. 

इस परिवार की बहु ने अपने पति और अन्य ससुराल वालों पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. मानकापुर पुलिस ने आरोपियों पर भादवि 498-ए, 325, 342, 504 व 34 के तह मामला दर्ज किया था. आरोपियों ने एफआईआर खारिज करने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी.

अदालत में याचिका लंबित रहते समय दूसरी ओर पति-पत्नी ने अपने बच्चे के भविष्य को देखते हुए विवाद खत्म करने की सहमति बनाई थी. उनके इस बयान के बाद हाईकोर्ट ने मानकापुर पुलिस को एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए है.

आपस में ऐसे हल करें विवाद-

सिविल मामले: सिविल प्रोसिजर कोड धारा 89 में पक्षकारों को आपस में विवाद हल करने का प्रावधान है. अगर कोर्ट को लगता है कि मामला आपसी सहमति से सुलझ सकता है, तो इसका उपयोग किया जाता है. इसके तहत आर्बिट्रेशन, कॉन्सिइलेशन, लोक अदालत या मीडिएशन जैसे उपाय आते हैं.

आपराधिक मामले: निजी स्वरूप के आपराधिक मामले, जिसमें कोर्ट को लगता है कि यह समाज के लिए उतना घातक नहीं है, में भी आपसी सहमति से विवाद हल किया जा सकता है. अमूमन आर्थिक, पार्टनरशिप, विवाह या दहेज संबंधी मामलों को आपसी सहमति से हल करने की अनुमति दी जाती है.

Web Title: nagpur high court Solve small matters mutual consent domestic violence fore bahu sasur sash husband devar

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