प्रेमिका ने प्रेमी को दिया झटका, कोर्ट में कहा-वह परिजनों के साथ रहना चाहती है, जानिए क्या है पूरा मामला
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 2, 2021 15:04 IST2021-01-02T15:03:49+5:302021-01-02T15:04:59+5:30
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी लेकिन प्रेमिका ने अपने प्रेमी के बजाय अपने परिवारजनों के साथ जाना और रहना पसंद किया.

पालकों ने जबरन घर में कैद रखने की बात को झूठा करार दिया.
नागपुरः 19 वर्षीय प्रेमी ने अपनी 27 वर्षीय प्रेमिका को पालक के कैद से छुड़ाने और अपने साथ ले जाने के लिए बड़ी उम्मीद से बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी लेकिन प्रेमिका ने अपने प्रेमी के बजाय अपने परिवारजनों के साथ जाना और रहना पसंद किया.
'अजब प्रेम की गजब कहानी' वाला यह प्रकरण चर्चा का विषय बना रहा. अभिषेक बाबू प्रेमी युवक का नाम है, जबकि प्रेमिका कविता (बदला हुआ नाम) इंजीनियरिंग करने के बाद बीएड कर रही है. कविता फरवरी तक कॉलेज गई. उसके बाद लॉकडाउन लगने के कारण वह घर में ही रहने लगी.
इसी बीच नवंबर में कविता और अभिषेक की पुणे में मुलाकात हुई. वे होटल में रुके. इसके बाद दोनों नागपुर आए और एक रात होटल में ही रुके. दूसरे दिन वे अपने-अपने घर के लिए रवाना हो गए. इसके बाद अभिषेक का कविता से संपर्क नहीं हो सका. इसके कारण अभिषेक को लगने लगा कि कविता के पालकों ने उसे घर में कैद कर रखा है.
परिणामस्वरूप उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कविता को पालकों की कैद से बाहर निकालने का अनुरोध किया. न्यायालय के आदेश पर पुलिस कविता को न्यायालय में लेकर आई. न्यायमूर्ति अनिल किलोर ने दो महिला अधिकारियों के माध्यम से कविता से पूछताछ की तो उसने पालक पर लगाए गए आरोप को निराधार बताया और पालकों ने जबरन घर में कैद रखने की बात को झूठा करार दिया.
कविता की मां भी न्यायालय में उपस्थित हुईं. उन्होंने अभिषेक के साथ कविता के जाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई. इसके बाद कविता ने ही अभिषेक के बजाय पालकों के साथ जाने और रहने की बात स्वीकार की. इसके कारण अभिषेक के हाथ निराशा लगी.