सीबीआई में नहीं है 'ऑल इज वेल', ताकतवर अधिकारी नागेश्वर राव को भेजा 'डंपिंग यार्ड' में
By हरीश गुप्ता | Published: July 7, 2019 08:49 AM2019-07-07T08:49:20+5:302019-07-07T08:49:20+5:30
देश की शीर्ष जांच एजेंसी में सीबीआई में 'ऑल इज वेल' वाले हालात नहीं हैं. कभी भाजपा की आंख के तारे रहे अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव की पदावनति के साथ सीबीआई से विदाई का तरीका इस बात को जाहिर कर देता है. पिछले साल सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और उनके नापसंद अधिकारी राकेश अस्थाना की भी असमय विदाई हुई थी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीबीआई के नये निदेशक आर.के. शुक्ला को दूसरे नंबर के अधिकारी एम. नागेश्वर राव के दैनंदिन अड़ंगों के कारण ठीक से काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा था.
नागेश्वर राव को अब फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का डीजी बनाया गया है. मजे की बात यह है कि 1962 से यह पद केवल उन्हीं अधिकारियों के नसीब में आता रहा है, जिनसे तत्कालीन सरकार नाराज हो. राव के पूर्ववर्ती आलोक वर्मा को भी यहीं भेजा गया था. यह बात और है कि उन्होंने पदभार नहीं संभाला था. डंपिंग यार्ड कहलाए जाने वाले इस पद पर राव को पदोन्नति नहीं पदावनति देकर भेजा गया है. वह अगले साल जुलाई में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
विवादास्पद रहा है कैरियर
वित्तीय गड़बडि़यों, जांच को प्रभावित करने जैसे आरोपों के कारण राव का कैरियर विवादास्पद रहा है. सीबीआई में ही दो शिकायतों ने उनके नेतृत्व में जांच की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगा दिया था. आरोप है कि उन्होंने शिलांग में रहने वाले सीए संजय भंडारी की डायरी में दर्ज अधिकारियों सहित कई आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच बंद करा दी थी. हालांकि आरोप साबित नहीं हो सका, लेकिन सरकार ने ऐहतियाती कदम उठाते हुए राव का तबादला कर दिया.
किए थे कई तबादले
सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर नागेश्वर राव ने सीबीआई के 20 से ज्यादा अधिकारियों के तबादले कर दिए थे. इनमें संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शर्मा भी शामिल थे, जो मुजफ्फरपुर (बिहार) के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन उत्पीड़न के उस मामले की जांच कर रहे थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की बारीक नजर थी. शर्मा के तबादले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 7 फरवरी को नागेश्वर राव के खिलाफ अवमानना मामले की कार्यवाही शुरू कर दी थी. बाद में आर. के. शुक्ला को लाया गया, लेकिन तब तक नागेश्वर राव के दिन लद चुके थे और उन्हें डीजी होम गार्ड्स बनाकर सीबीआई से विदा कर दिया गया.