नगालैंड: मेजर जनरल स्तर के अफसर के नेतृत्व में होगी गोलीबारी की घटना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’

By भाषा | Updated: December 7, 2021 17:02 IST2021-12-07T17:02:53+5:302021-12-07T17:02:53+5:30

Nagaland: 'Court of Inquiry' will be headed by Major General level officer | नगालैंड: मेजर जनरल स्तर के अफसर के नेतृत्व में होगी गोलीबारी की घटना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’

नगालैंड: मेजर जनरल स्तर के अफसर के नेतृत्व में होगी गोलीबारी की घटना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’

नयी दिल्ली, सात दिसंबर सेना ने नगालैंड गोलीबारी की घटना में मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ जांच का आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गोलीबारी की इस घटना में 14 लोग मारे गए थे।

सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को इस घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" और "दुखद" करार देते हुए कहा कि असफल अभियान संभवतः गलत खुफिया जानकारी का परिणाम था।

सूत्रों ने कहा कि मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी शनिवार शाम नगालैंड के मोन जिले में हुए 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के अभियान की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ जांच का नेतृत्व करेंगे।

उन्होंने कहा कि जांच संबंधित "खुफिया" जानकारी और "परिस्थितियों" पर केंद्रित होगी, जिन पर शनिवार का अभियान आधारित था।

लेफ्टिनेंट जनरल अशोक मेहता (अवकाशप्राप्त) ने पीटीआई-भाषा से कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह जाहिर तौर पर खुफिया जानकारी में गड़बड़ी का मामला है। मुझे ऐसा लगता है।"

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद जो हुआ वह और भी दुखद है। ग्रामीण इतने गुस्से में थे कि उन्होंने कमांडो को घेर लिया और जाहिर तौर पर उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया तथा उन्हें (कमांडो) आत्मरक्षा में उन (ग्रामीणों) पर गोलियां चलानी पड़ीं।’’

उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि पूर्वोत्तर में ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई।

मेहता ने कहा, "यह हाल के दिनों में सैन्य अभियानों या आतंकवाद रोधी अभियानों की सबसे बड़ी गड़बड़ियों में से एक है।"

सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्सपा) को निरस्त करने की नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की मांग पर मेहता ने कहा, "यदि आप आफ्सपा को निरस्त करते हैं, तो सशस्त्र बल काम नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके पास कोई पुलिस शक्ति या सुरक्षा उपाय नहीं होंगे।"

नागालैंड में शनिवार और रविवार को हुई गोलीबारी की संबंधित घटनाओं में 14 लोग मारे गए थे।

लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (अवकाशप्राप्त) ने कहा कि गृह मंत्री और हर कोई स्वीकार करता है कि यह गलत पहचान का मामला तथा एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी।

साहा ने अपनी सेवा के दौरान इसी तरह की परिस्थितियों से निपटने के अपने अनुभव का हवाला देते हुए कहा, "ये स्थितियां जटिल हैं, और आप वास्तव में नहीं जानते कि क्या हो सकता है।"

उन्होंने कहा कि ऐसी कई संभावनाएं हैं कि सेना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ और एसआईटी दोनों ही तथ्यों के क्रम को देखेंगी तथा चीजों को उनके तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा।

आफ्सपा हटाने की मुख्यमंत्री की मांग पर उन्होंने कहा, "यह (मांग) नयी नहीं है। जब भी कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है, तो यह मांग सामने आती रहती है। मैं आग्रह करूंगा कि हमें चीजों को एक-दूसरे से नहीं जोड़ना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि इस समय सर्वोच्च प्राथमिकता जांच होनी चाहिए और सभी को परिणामों का इंतजार करना चाहिए तथा किसी भी परिस्थिति में शांति प्रक्रिया को पटरी से नहीं उतरने देना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में इस घटना पर कहा था, ‘‘ भारत सरकार नगालैंड की घटना पर अत्यंत खेद प्रकट करती है और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताती है।’’

शाह ने घटना का विवरण देते हुए कहा था कि चार दिसंबर को नगालैंड के मौन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21वें पैरा कमांडो ने इंतजार किया। उन्होंने कहा कि शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रोकने का संकेत दिया लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा।

शाह ने कहा कि इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं जिसमें वाहन में सवार आठ में से छह लोग मारे गए।

गृह मंत्री ने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने सेना की बटालियन को घेर लिया, दो वाहनों में आग लगा दी गई और उन पर हमला किया जिसमें एक सैनिक की जान चली गई तथा कुछ अन्य घायल हो गए।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा एवं भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बलों ने गोलियां चलाईं और इसमें सात अन्य लोग मारे गए।

शाह ने कहा कि पांच दिसंबर को लगभग 250 लोगों की भीड़ ने असम राइफल्स के भवन पर हमला किया और इस दौरान संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

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Web Title: Nagaland: 'Court of Inquiry' will be headed by Major General level officer

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