देवी चामुंडेश्वरी के गर्भगृह के समक्ष दीप, हल्दी, कुमकुम और फल और फूल चढ़ाए जाते हैं?, मुख्य अतिथि बानू मुश्ताक कैसी करेंगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 19, 2025 13:50 IST2025-09-19T13:49:17+5:302025-09-19T13:50:25+5:30
Mysore Dasara celebrations: यह उत्सव परंपरागत रूप से वैदिक अनुष्ठानों और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित करके शुरू होता है, ऐसे में मुश्ताक का चयन, धार्मिक भावनाओं और लंबे समय से चली आ रही परंपराओं का अनादर है।

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नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को इस साल मैसुरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के 15 सितंबर के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील एच एस गौरव ने दायर की थी।
यह उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा। इस याचिका में कहा गया कि चामुंडेश्वरी मंदिर में होने वाले दशहरा के अनुष्ठान के रीति-रिवाज प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित आवश्यक धार्मिक प्रथा हैं। इस परंपरा के तहत देवी चामुंडेश्वरी के गर्भगृह के समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाता है, हल्दी व कुमकुम लगाया जाता है, फल और फूल चढ़ाए जाते हैं।
याचिका के अनुसार, ये हिंदू पूजा के कार्य हैं जो आगमिक परंपराओं द्वारा निर्धारित होते हैं, और इन्हें कोई गैर-हिंदू नहीं कर सकता। मैसुरु जिला प्रशासन ने तीन सितंबर को, विपक्षी भाजपा सहित कुछ वर्गों की आपत्तियों के बावजूद, मुश्ताक को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था।
यह विवाद बानू मुश्ताक द्वारा अतीत में दिए गए कुछ बयानों को लेकर खड़ा हुआ है, जिन्हें कुछ लोग ‘हिंदू विरोधी’ और ‘कन्नड़ विरोधी’ मानते हैं। पूर्व भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा और अन्य आलोचकों का तर्क है कि यह उत्सव परंपरागत रूप से वैदिक अनुष्ठानों और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित करके शुरू होता है, ऐसे में मुश्ताक का चयन, धार्मिक भावनाओं और लंबे समय से चली आ रही परंपराओं का अनादर है। मैसुरु में दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होकर दो अक्टूबर को विजयादशमी पर समाप्त होगा।