मुंधवा भूमि सौदाः जमीन की कीमत 1,800 करोड़ रुपये?, 300 करोड़ रुपये स्टांप शुल्क अवैध रूप से माफ, बुरे फंसे उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 8, 2025 11:03 IST2025-11-08T11:02:21+5:302025-11-08T11:03:05+5:30

Mundhwa land deal: पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है।

Mundhwa land deal Land worth Rs 1,800 crore Rs 300 crore stamp duty illegally waived Deputy Chief Minister Ajit Pawar's son Parth in trouble | मुंधवा भूमि सौदाः जमीन की कीमत 1,800 करोड़ रुपये?, 300 करोड़ रुपये स्टांप शुल्क अवैध रूप से माफ, बुरे फंसे उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ

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Highlightsजमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी नामक कंपनी को बेची गई थी।जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये है।आरोप लगाया था कि यह छूट गलत तरीके से दी गई थी।

पुणेः पुणे के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने ‘अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी’ के साझेदार दिग्विजय पाटिल द्वारा बिक्री विलेख निष्पादित किए जाने के 15 दिन बाद ही कार्रवाई का अनुरोध करते हुए संयुक्त जिला रजिस्ट्रार को सचेत किया था कि 300 करोड़ रुपये के मुंधवा भूमि सौदे पर स्टांप शुल्क अवैध रूप से माफ कर दिया गया। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भी अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी में साझेदार हैं। पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है।

यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी नामक कंपनी को बेची गई थी जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं। यह जमीन सरकारी बताई जा रही है और इस सौदे में आवश्यक स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी। इसके अलावा, विपक्षी दलों का आरोप है कि संबंधित जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये है।

मुंधवा में भूमि की बिक्री का कार्य 20 मई को किया गया था और छावा कामगार यूनियन के 60 वर्षीय संस्थापक-अध्यक्ष दिनकर कोटकर ने पांच जून को आईजीआर कार्यालय को पत्र लिखा था कि 21 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क माफ कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह छूट गलत तरीके से दी गई थी।

मामले में शिकायतकर्ता संयुक्त जिला रजिस्ट्रार (जेडीआर) संतोष हिंगाने ने प्राथमिकी में कोटकर से एक पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत आवेदन की जांच के दौरान यह पाया गया कि मुंधवा भूमि के विक्रय पत्र को आधिकारिक अभिलेखों में फेरबदल करके निष्पादित किया गया था।

कोटकर ने कहा कि पांच जून को दिए गए उनके पहले शिकायत आवेदन पर कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्होंने 23 जून को एक अन्य शिकायत आवेदन लिखा, जिसमें शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की गई। शिकायत में यह भी मांग की गई कि सरकारी खजाने को हुए नुकसान की ब्याज सहित भरपाई की जाए।

कोटकर ने कहा कि उन्हें दोबारा दिए गए आवेदन भी संबंधित विभाग से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क करके इस मामले से दूर रहने को कहा था और गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी थी। पंजीकरण एवं स्टांप शुल्क विभाग में संयुक्त महानिरीक्षक राजेंद्र मुठे उस समिति का नेतृत्व कर रहे हैं।

जिसे भूमि सौदे में अनियमितताओं की जांच करने और राज्य सरकार को सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। मुठे ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद जेडीआर ने जांच शुरू कर दी है। अजित पवार ने सौदे के रद्द होने की शुक्रवार शाम को जानकारी देते हुए कहा था कि पार्थ को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह जमीन सरकार की है।

पार्थ पवार से जुड़े पुणे भूमि सौदे की जांच के लिए समिति गठित, एक महीने में रिपोर्ट देगी

महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया, जो पुणे में हुए एक भूमि सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच करेगी। यह सौदा उस कंपनी से जुड़ा है, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं। पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है।

यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी नामक कंपनी को बेची गई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं। विवाद इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि यह जमीन सरकारी बताई जा रही है और इस सौदे में आवश्यक स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी। इसके अलावा, विपक्षी दलों का आरोप है कि संबंधित जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये थी।

राज्य के राजस्व एवं वन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खरगे की अध्यक्षता वाली समिति पुणे शहर के मौजे मुंधवा में सर्वेक्षण संख्या 88 से संबंधित "दस्तावेजों के अनधिकृत पंजीकरण" की जांच करेगी और यह निर्धारित करेगी कि क्या इस सौदे से राज्य के खजाने को कोई वित्तीय नुकसान हुआ है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जांच समिति के अध्यक्ष खरगे हैं, और पुणे के संभागीय आयुक्त, पंजीकरण एवं स्टाम्प महानिरीक्षक (पुणे), निपटान आयुक्त और भूमि अभिलेख निदेशक, पुणे के जिला कलेक्टर और राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव (स्टाम्प) इसके सदस्य हैं।

अधिकारियों ने बताया कि समिति इस बात की जांच करेगी कि भूमि सौदा कैसे हुआ, किसी भी प्रक्रियागत उल्लंघन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों या व्यक्तियों की पहचान करेगी, सुधारात्मक उपायों की सिफारिश करेगी तथा भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के तरीके भी सुझाएगी। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज शाम पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके बेटे पार्थ और उनके व्यापारिक साझेदार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुणे में जो जमीन उनकी कंपनी ने खरीदी है, वह सरकार की है।

अजित पवार ने कहा कि 300 करोड़ रुपये के सौदे की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। उन्होंने कहा कि सौदे से संबंधित दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और इस संबंध में अधिकारियों को हलफनामा सौंप दिया गया है।

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