मुंबईः महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री नवाब मलिक ने सनसनीखेज दावा किया है कि खुफिया विभाग की आयुक्त रश्मि शुक्ला अवैध रूप से फोन कॉल्स रिकॉर्ड कर रही थीं, इसलिए अलग तरह की सजा देकर उनका तबादला किया गया था.
शुक्ला द्वारा महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन के समय सभी प्रमुख नेताओं के फोन कॉल्स रिकॉर्ड करने का दावा भी मलिक ने किया है. मलिक ने कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल दलों के विधायकों को तोड़ने में असफल रहने के बाद अब भाजपा और देवेंद्र फड़नवीस अधिकारियों के कांधे पर बंदूक रखकर सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं.
फड़नवीस ने जो जानकारी प्रेस कांफ्रेंस में दी वह गलत और बेबुनियाद है. मलिक ने आरोप लगाया कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गृह मंत्री की हलचलों से जुड़ा पुलिस रिकॉर्ड फड़नवीस ने पेश किया है. लेकिन उन्होंने (फड़नवीस) ने यह कहकर भ्रम फैलाने की कोशिश की कि गतिविधियां हुई थी या नहीं, उस बारे में वे कुछ नहीं कह सकते.
फड़नवीस ने सलाह ली थी तो दस्तावेज दिखाएंः मलिक ने कहा कि दावा किया जा रहा है कि सचिन वाझे को पुन: सेवा में लेने से पहले फड़नवीस ने महाधिवक्ता से सलाह ली थी. यदि ऐसा है तो उन्हें दस्तावेज दिखाने चाहिए. ऐसा कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है. इस मामले को लेकर पहले दिन से फड़नवीस राज्य की जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. परमबीर सिंह ने अपने चार अधिकारियों से चर्चा के बाद वाझे को पुन: सेवा में लिया था. इसके लिए मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने आदेश जारी नहीं किया था.
केंद्र की मदद लेकर राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिशः मलिक ने कहा कि सभी जानते हैं कि भाजपा ने किस तरह कर्नाटक की सरकार गिराई. उत्तराखंड में सत्ता हासिल की. मध्य प्रदेश में सरकार बदल दी. महाराष्ट्र में वे सरकार में शामिल दलों के विधायकों को तोड़ नहीं पा रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर पार्टी के स्थानीय नेता राज्य सरकार को बदनाम करना चाहते हैं. भाजपा नेता भूल गए हैं कि हमारे पास पूर्ण बहुमत है.
यदि सबूत हैं तो सार्वजनिक करें फड़नवीसः नवाब मलिक ने कहा कि तबादलों और पोस्टिंग को लेकर यदि कोई डाटा या दस्तावेज फड़नवीस के पास हैं तो उन्हें उसे सार्वजनिक करना चाहिए. रश्मि शुक्ला ने अवैध रूप से कॉल्स रिकॉर्ड किए थे, ऐसे में फडणवीस यदि उन्हें सार्वजनिक करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
रश्मि शुक्ला को फोन टैपिंग करने का अधिकार किसने दिया...
राकांपा अध्यक्ष और जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने आज कहा कि राज्य खुफिया विभाग की तत्कालीन आयुक्त रश्मि शुक्ला ने फोन टैपिंग की और जो रिपोर्ट दी, उसके आधार पर अधिकारियों के तबादले नहीं किए गए हैं. इसके साथ ही जल संसाधन ने सवाल किया, 'लेकिन, रश्मि शुक्ला को फोन टैपिंग का अधिकार किसने दिया? उन्होंने किसकी अनुमति ली थी? उन्हें ऐसा करने को किसने कहा था?'
पाटिल ने इन सवालों के जवाब को ज्यादा गंभीर बताते हुए मांग की कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह का पत्र मीडिया में आने के बाद से एनआईए की ओर से सूचना मिलनी कम हो गई है, यह टिप्पणी करते हुए पाटिल ने स्पष्ट किया कि विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस के आरोपों में कोई तथ्य नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के बंगले के सामने कार में विस्फोटक मिलने की जांच शुरू है और इससे ध्यान भटकाने के लिए फड़नवीस अलग-अलग मुद्दे सामने रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मुकेश अंबानी के घर के सामने जिलेटन की छड़ेंरखी गईं. इसके बाद मनसुख हिरेन की हत्या हुई. एटीएस की जांच अंतिम चरण में रहते एनआईए को पत्र मिला और हमें जांच रोकने को कहा गया. लेकिन, अब केंद्र की इस एजेंसी को जल्द से जल्द जांच पूरी करनी चाहिए. पाटिल ने बताया,''हमने केंद्र सरकार को यह अवगत कराया है कि हमारी जांच अंतिम चरण में थी, लेकिन वह रोक दी गई.''