मप्र उच्च न्यायालय ने शाही परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर पन्ना राजमाता से जवाब मांगा
By भाषा | Published: September 3, 2021 02:48 PM2021-09-03T14:48:50+5:302021-09-03T14:48:50+5:30
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पन्ना की पूर्ववर्ती रियासत की राजमाता दिलहर कुमारी को नोटिस जारी कर उन्हें अपने बेटे महाराजा राघवेंद्र सिंह की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिका में राघवेंद्र सिंह और शाही परिवार के चार अन्य सदस्यों ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति ए के शर्मा की एकल पीठ ने बुधवार को इस याचिका पर नोटिस जारी किया और प्रदेश सरकार को चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई में केस डायरी पेश करने का भी निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं के वकील राजेश पटेल ने कहा कि राघवेंद्र सिंह और शाही परिवार के चार अन्य सदस्यों ने दिलहर कुमारी की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पन्ना जिले के कोतवाली पुलिस थाने में इस साल जुलाई में राजमाता की बहू जितेश्वरी देवी और अन्य के खिलाफ भादवि की धारा 506 (आपराधिक धमकी), और धारा 458 (क्षति आदि की तैयारी करके रात में छिपकर गृह-अतिचार या गॄह-भेदन करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। पटेल ने कहा कि याचिकार्ताओं ने याचिका में आरोप लगाया है कि पन्ना की अदालत में लंबित शाही परिवार की संपत्ति से संबंधित एक मामले में दिलहर कुमारी उन पर अनुचित दबाव डालना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि याचिका में कहा गया है कि उनके (याचिकाकर्ताओं) खिलाफ झूठी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। शाही परिवार में विशेषकर दिलहर कुमारी और जितेश्वरी देवी के बीच करोड़ों की संपत्ति और हीरों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। महल के सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष पन्ना में एक ही शाही महल में रहते हैं। पुलिस ने जितेश्वरी देवी को अपनी सास पर पिस्टल तानने और 19 जून की रात को मारपीट करने के आरोप में जुलाई में गिरफ्तार किया था।
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