इंदौर/भोपाल: छिंदवाड़ा में हुई 11 बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को कोल्ड्रिफ कप सिरप पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जाँच में इस सिरप के नमूनों में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले तत्व की पुष्टि हुई है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जाँच रिपोर्ट के बाद प्रदेश में इस सिरप की बिक्री पूरी तरह रोक दी गई है और राज्य-स्तरीय संयुक्त जाँच टीम बनाई गई है।
वहीं कांग्रेस ने इस त्रासदी को लेकर सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है और औषधि नियामक तंत्र की जवाबदेही तय करने की मांग की है। डॉ. यादव ने कहा कि मृत बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, वहीं उपचाररत बच्चों के इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
जाँच रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक द्वारा इस दवा को “नॉट ऑफ स्टैण्डर्ड क्वालिटी (NSQ)” घोषित किया गया है। चेन्नई की सरकारी औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ सिरप में अत्यधिक डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई है, जिसके चलते राज्य सरकार ने इस दवा की बिक्री, वितरण और उपयोग पर तत्काल रोक लगा दी है।
राज्य के औषधि नियंत्रक डॉ. दिनेश कुमार मौर्य ने सभी जिला औषधि अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि इस दवा के स्टॉक को तत्काल सील किया जाए, परंतु नष्ट न किया जाए, ताकि जाँच पूरी की जा सके। मेसर्स स्रेसन फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित अन्य दवाओं की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने इस घटना को सरकार की गंभीर चूक बताया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि फार्मास्यूटिकल कंपनियों की जाँच और दवा परीक्षण प्रणाली में भारी लापरवाही सामने आई है। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार दोषियों के साथ-साथ निगरानी एजेंसियों की भी जवाबदेही तय करे और इस पूरे मामले की जाँच उच्चस्तरीय स्वतंत्र समिति से कराई जाए।कांग्रेस नेताओं ने मृतक बच्चों के परिजनों को अधिक मुआवजा देने की मांग करते हुए कहा कि यह केवल प्रशासनिक नहीं, मानवीय त्रासदी है, जिसकी जिम्मेदारी सरकार पर है।