RSS को कोर्स में शामिल करने पर विरोध, अंग्रेजों का साथ देने, 52 साल तिरंगा नहीं फहराने की बात भी छात्रों को पढ़ाई जाए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2019 07:58 AM2019-07-10T07:58:10+5:302019-07-10T07:58:10+5:30

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण ने विवि के इस फैसले पर ट्वीट करते हुए कहा कि आरएसएस ने 1942 के चले जाओ आंदोलन का विरोध किया, भारतीय संविधान व राष्ट्रध्वज का किया विरोध भी विद्यार्थियों को बताया जाए यह हमारी मांग है।

Move to impose RSS ideology Congress objects to Nagpur varsity decision on changing history syllabus | RSS को कोर्स में शामिल करने पर विरोध, अंग्रेजों का साथ देने, 52 साल तिरंगा नहीं फहराने की बात भी छात्रों को पढ़ाई जाए

कांग्रेस की मांग है RSS ने स्वतंत्रता आंदोलन, संविधान और राष्ट्रध्वज का विरोध किया यह भी विद्यार्थियों को पढ़ाया जाए।

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के बीए द्वितीय वर्ष पाठ्यक्रम के इतिहास विषय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर एक पूरा अध्याय शामिल करने को लेकर राज्य की राजनीति में घमासान मच गया है. मंगलवार को कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की. विवि के फैसले का विरोध किया है.

कई संगठनों ने भी विवि कुलपति डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे को ज्ञापन सौंपकर फैसले का विरोध किया. विवि के फैसले की जानकारी मिलने पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण ने विवि के इस फैसले पर संतप्त प्रतिक्रिया देते हुए अपने अधिकृत ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया कि नागपुर विश्वविद्यालय के बीए भाग-2 के इतिहास के पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को पढ़ाया जाएगा. इसमें आरएसएस ने 1942 के चले जाओ आंदोलन का विरोध किया, भारतीय संविधान व राष्ट्रध्वज का किया विरोध भी विद्यार्थियों को बताया जाए यह हमारी मांग है.

राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड़ ने ट्वीट किया कि जिन्होंने ब्रिटिशों का साथ दिया, स्वतंत्रता संग्राम में गद्दारी की, जिन्होंने विचारों का जहर बोया और जिससे महात्मा गांधी की हत्या हुई उनका इतिहास लिखा व पढ़ाया जाएगा. इस पूरे विवाद के बीच अभी विवि की ओर से कोई अधिकृत प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

हालांकि विवि की ह्युमनिटीज शाखा के अधिष्ठाता डॉ. प्रमोद शर्मा ने स्पष्ट किया था कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. एमए-इतिहास के पाठ्यक्रम में पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में पढ़ाया जा रहा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का इतिहास और ‘राष्ट्र निर्माण’ में इसकी भूमिका को नागपुर स्थित एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। आरएसएस का मुख्यालय भी इसी शहर में है। राष्ट्रसंत तुकाडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के बीए (इतिहास) के द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम में आरएसएस के इतिहास को शामिल किया है। पाठ्यक्रम के तीसरे खंड में राष्ट्र निर्माण में आरएसएस की भूमिका का ब्योरा है। वहीं, प्रथम खंड में कांग्रेस की स्थापना और जवाहर लाल नेहरू के उभार के बारे में बात की गई है। पाठ्यक्रम के द्वितीय खंड में सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे मुद्दों की बात की गई है।

घटनाक्रम से करीब से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि यह कदम इतिहास में ‘‘नई विचारधारा’’ के बारे में छात्रों को जागरूक करने के प्रयास का हिस्सा है। विश्वविद्यालय अध्ययन बोर्ड के सदस्य सतीश चैफल ने बताया कि भारत का इतिहास (1885-1947) इकाई में एक अध्याय राष्ट्र निर्माण में संघ की भूमिका का जोड़ा गया है, जो बीए (इतिहास) द्वितीय वर्ष पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 2003-2004 में विश्वविद्यालय के एमए (इतिहास) पाठ्यक्रम में एक अध्याय ‘‘आरएसएस का परिचय’’ था। 

सतीश ने कहा कि इस साल हमने इतिहास के छात्रों के लिए राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के योगदान का अध्याय रखा है जिससे कि वे इतिहास में नई विचारधारा के बारे में जान सकें। विश्वविद्यालय के कदम को उचित ठहराते हुए सतीश ने कहा कि इतिहास के पुनर्लेखन से समाज के समक्ष नए तथ्य आते हैं। 

आरएसएस और राष्ट्र निर्माम का संदर्भ कहां से लाएगा विश्वविद्यालय-
आरएसएस पर अध्याय लाए जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचित सावंत ने ट्वीट किया, नागपुर विश्वविद्यालय आरएसएस और राष्ट्र निर्माण का संदर्भ कहां से ढूंढ़ेगा? यह सर्वाधिक विभाजनकारी बल है जिसने ब्रितानिया हुकूमत का साथ दिया, स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया, 52 साल तक तिंरगा नहीं फहराया, संविधान की जगह मनुस्मृति चाही और जो नफरत फैलाता है।

Web Title: Move to impose RSS ideology Congress objects to Nagpur varsity decision on changing history syllabus

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