नयी दिल्ली, 24 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी सरकार को सुझाव दिया कि वह नियमों का उल्लंघन किए जाने पर 5,500 रुपये का जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले लोगों को रंग आधारित ईंधन स्टीकर और ‘हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन (नंबर) प्लेट’ (एचएसआरपी) हासिल करने के लिए और अधिक समय दे।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को नागरिकों के बीच दहशत नहीं पैदा करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि इस साल अगस्त में दिल्ली सरकार द्वारा स्टीकरों और एचएसआरपी की जरूरत के बारे में विज्ञापन जारी करना आदर्श समय नहीं था।
अदालत ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख अनिल कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘ऑरिजनल इक्वीपमेंट मैन्युफैक्चर्स’ राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों के लिए अनिवार्य किए गए रंग आधारित स्टीकरों और एचएसआरपी के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे हैं।
अधिवक्ता सुनिल फर्नांडीस ने कुमार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया चालान अभियान ने लोगों को भयाक्रांत कर दिया है और वे ये स्टीकर एवं एचएसआरपी प्राप्त करने की जद्दोजहद कर रहे हैं ताकि उन्हें जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ना पड़े।
अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता सत्यकाम ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि उसका (दिल्ली सरकार का) स्टीकरों और एचएसआरपी की दर तय करने से कोई लेना-देना नहीं है तथा यह केवल शीर्ष न्यायालय के निर्देशों को लागू करना चाहता है, जिसके तहत कहा गया था कि सभी वाहनों पर एचएसआरपी और स्टीकर होने चाहिए।
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