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मोदी-जिनपिंग ने बैठक के लिए ऐतिहासिक मामल्लापुरम को ही क्यों चुना? जानें चीनी राष्ट्रपति का पूरा कार्यक्रम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 11, 2019 09:00 IST

मामल्लापुरम का चीन के फुजियांग प्रांत से मजबूत ऐतिहासिक संबंध रहा है। फुजियांग प्रांत में चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग गवर्नर भी रह चुके हैं। जिनपिंग को ऐतिहासिक चीज़ों से बेहद लगाव है।

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ठळक मुद्देमोदी-जिनपिंग इस प्राचीन नगर में सातवीं सदी के शोर मंदिर परिसर में शुक्रवार को बैठेंगे।मामल्लापुरम को पत्थर की नक्काशी और पत्थरों के मंदिर के लिए जाना जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समुद्र किनारे स्थित मामल्लापुरम शहर जाएंगे। वो इस प्राचीन नगर में सातवीं सदी के शोर मंदिर परिसर में शुक्रवार को बैठेंगे। वे कश्मीर मुद्दे पर भारत और चीन की कड़ी बयानबाजी से तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश करेंगे। शी के शुक्रवार शाम करीब पांच बजे यहां पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। राज्य एवं केंद्र सरकार की एजेंसियां इस तटीय शहर में बैठक की पूरे जोर शोर से तैयारियां कर रही हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि भारत और चीन ने मामल्लपुरम को ही बैठक के लिए क्यों चुना? दरअसल, इतिहास में इस सवाल का जवाब छिपा है। इस शहर का चीन के फुजियांग प्रांत से मजबूत ऐतिहासिक संबंध रहा है। फुजियांग प्रांत में चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग गवर्नर भी रह चुके हैं। जिनपिंग को ऐतिहासिक चीज़ों से बेहद लगाव है।

मामल्लापुरम से जुड़ी खास बातेंः-

- मामल्लापुरम बंदरगाह पर लंबे अरसे तक पल्लव वंश का अधिकार था। यहां से चीन के फुंजियांग प्रांत में व्यापारिक संबंध मिलते हैं।

- मामल्लापुरम को पत्थर की नक्काशी और पत्थरों के मंदिर के लिए जाना जाता है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है।

- प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग भी कांचीपुरम आए थे। माना जाता है कि वह ममल्लापुरम भी आए थे। इसके बाद उन्होंने शहर में मंदिरों के दर्शन करने शुरू किए थे। बौद्ध धर्म को और जानने के लिए वह कांचीपुरम गए थे। 

- पूर्वी तमिलनाडु में पहली और दूसरी शताब्दी के मिट्टी के बर्तन यहां पाए गए थे। यह इस बात का प्रमाण है कि चीनी लोगों का यहां आना जाना था। इसी तरह से चीन में तमिल में लिखे पात्र मिलते हैं।

क्या है चीनी राष्ट्रपति का पूरा कार्यक्रम

अधिकारियों ने बताया कि शी अपराह्न करीब दो बजे चेन्नई पहुंचेंगे और इसके बाद एक आलीशान होटल में जाएंगे। मोदी शाम पांच बजे शी को मामल्लापुर के तीन स्मारकों अर्जुन की तपस्या स्थली, पांच रथ और शोर मंदिर लेकर जाएंगे। इसके बाद दोनों नेता मंदिर परिसर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखेंगे। दोनों नेता शोर मंदिर परिसर में बैठेंगे और विकास एवं सहयोग का नया खाका बनाने पर विचार साझे करेंगे। 

इसके बाद प्रधानमंत्री मंदिर परिसर में शी के लिए निजी रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों नेता शनिवार को फिशरमैन्स कोव रिजार्ट में एक बैठक करेंगे, जिसके बाद प्रतिनिधि मंडल स्तर की वार्ता होगी। इसके बाद मोदी दोपहर के खाने पर शी की मेजबानी करेंगे और चीनी नेता दोपहर पौने एक बजे चेन्नई हवाईअड्डे के लिए रवाना होंगे। भारत-चीन शिखर वार्ता से पहले मामल्लापुरम के अति प्राचीन स्मारकों को सजाया-संवारा जा रहा है। पूर्वी तटीय सड़क से मामल्लापुरम में प्रवेश पर दोनों नेताओं के स्वागत के लिए एक भव्य तोरण द्वार बनाया गया है। 

शी जिस होटल में रुकेंगे, उसके सामने केले के पेड़ों और गन्नों से पारम्परिक तोरण द्वार बनाए गए हैं। अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए पूरे शहर को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है, जिसके कारण शहर में लोगों और पर्यटकों को असुविधा हुई। यह वार्ता ऐेसे समय में हो रही है जब कश्मीर मामले पर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

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