राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार का 'प्लान 2.0', जानें क्या है गैर-विवादित 67 एकड़ का समीकरण?

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 30, 2019 05:08 PM2019-01-30T17:08:44+5:302019-01-30T17:08:44+5:30

चुनाव से पहले इस कदम को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। रामजन्मभूमि विवाद मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

Modi Government Master Stroke on Ayodhya Land Dispute, want to allot ramjanmabhumi nyas 42 acres | राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार का 'प्लान 2.0', जानें क्या है गैर-विवादित 67 एकड़ का समीकरण?

राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार का 'प्लान 2.0', जानें क्या है गैर-विवादित 67 एकड़ का समीकरण?

राम जन्मभूमि विवाद मामले में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसे चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सरकार ने विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि को उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी है। केंद्र सरकार ने इस आवेदन में न्यायालय के 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया है। 

मोदी सरकार ने 33 पृष्ठों के आवेदन में 31 मार्च, 2003 के आदेश का जिक्र करते हुये मोदी सरकार ने कहा है कि शीर्ष अदालत ने विवादित भूमि तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सीमित रखने की बजाय इस आदेश का विस्तार इसके आसपास की अधिग्रहित भूमि तक कर दिया था।

क्या है पूरा मामला?

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में यह विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। इसके बाद देशभर में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे। सरकार ने 1993 में एक कानून के माध्यम से 2.77 एकड़ सहित 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक है जो विवादरहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था।

मोदी सरकार ने क्यों उठाया ये कदम

2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण का वादा किया था। अब मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा होने को आया लेकिन अयोध्या में मंदिर निर्माण का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाई देता। आरएसएस समेत कई हिंदूवादी संगठन भी लगातार दबाव बना रहे हैं। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन किया है कि सिर्फ 0.313 एकड़ का भूखंड, जिस पर विवादित ढांचा था, भूमि का विवादित हिस्सा है। इसके अलावा 67 एकड़ अधिगृहीत जमीन को उनके मालिकों को सौंपने की अनुमति चाहता है। गौरतलब है कि इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक है जो विवादरहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था।

मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक

चुनाव से पहले इस कदम को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। रामजन्मभूमि विवाद मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें लंबित हैं जिन पर 29 जनवरी को पांच सदस्यीय पीठ को विचार करना था परंतु एक न्यायाधीश के उपस्थित नहीं होने की वजह से यह पीठ सुनवाई नहीं कर सकी। 

बहरहाल, बीजेपी ने संकेत दिया कि अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिये केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पवित्र नगरी में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी। सरकार के इस कदम को बिना अध्यादेश लाए गैर-विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

आगे क्या हो सकता है?

रामजन्मभूमि विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की अर्जी पर ज्यादा तवज्जो नहीं देगी। यदि ये अर्जी स्वीकार कर ली जाती है तो विवादित स्थल के आसपास की 42 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि न्यास के पास चली जाएगी। इससे चुनाव से पहले ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया जा सकता है। इससे चुनाव में बीजेपी ताल ठोंक कर मंदिर निर्माण शुरू करने के दावे करेगी जिसका चुनावी लाभ पार्टी को मिल सकता है।

कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि देश खुद तय कर सकता है कि चुनाव से ठीक पहले सरकार के इस कदम के पीछे क्या मंशा है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस मामले में जो भी निर्णय करना है वो उच्चतम न्यायालय करेगा। लेकिन इतना जरूर कह देता हूं कि 29 जनवरी को सरकार ने याचिका नहीं, बल्कि अर्जी दायर की है। हम नहीं कह सकते कि इसके पीछे की वजह चुनावी है या कुछ और है। यह आप लोगों को तय करना है।’’

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

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