तीन राज्यों में बनी सरकार ने किसानों को सौगात देते हुए सबसे पहले उनका कर्ज माफ किया है। ऐसे में अब क्या मोदी सरकार किसानों देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने की तैयारी में है। तो इसका जबाव किसानों को निराश कर सकता है क्योंकि ये ना में है। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में किसी बड़े कर्जमाफी की घोषणा नहीं करने वाली है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली हार के बाद ऐसी अटकलें जताई जा रही थीं कि अब केंद्र सरकार एक्शन के मूड में आकर किसान वोट लेने के लिए कर्ज माफ का ऐलान कर सकती है। करेज फर्म Credit Suisse की एक रिपोर्ट की मानें तो कृषि क्षेत्र की खराब स्थिति से 20 करोड़ मजदूरों पर असर पड़ रहा है और मौजूदा आर्थिक नरमी के इस दौर में यह राजनीतिक उलट-पलट और नए नीतिगत प्रयोगों का कारण बन सकता है।
साथ ही पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी कर्ज माफी ना देने को लेकर हिदायत सरकार को दी है।अगर किसान कर्ज माफी की गई तो जीडीपी ग्रोथ रेट, जो कि फिलहाल 7.5-7.8 फीसदी है, के अनुमान में कटौती करनी होगी। जबकि जबकि कयास लगाया जा रहा है कि अगले साल आम चुनाव से पहले कृषि ऋण माफी की घोषणा की जा सकती है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि औद्योगिक रफ्तार बेहतर है, जिससे कॉर्पोरेट बैंक भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
वहीं, कंपनी ने रिपोर्ट में कहा है कि हम चुनाव से पहले किसी बड़े कृषि कर्ज माफी या वित्तीय प्रलोभन की उम्मीद नहीं करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र की खराब स्थिति से उत्पन्न अनिश्चितताएं ऐसे समय सामने आ रही हैं जब आर्थिक वृद्धि सुस्त पड़ रही है और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पूर्वानुमान में कटौती की जा सकती है
कंपनी ने आसन्न चुनाव के बारे में कहा कि पिछले दो दशक में चुनाव का बाजार की दिशा पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ा है.रिपोर्ट में उद्योग जगत के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद के साथ कॉरपोरेट बैंकों के भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की गई है।
(इनपुट भाषा के साथ )