नयी दिल्ली: सरकार भारतीय रेल को अन्य सरकारी उपक्रमों की तर्ज़ पर निजी हाथों में सौंपने की दिशा में आगे बढ़ रही है, इसके संकेत उसी समय मिल गये थे जब रेल मंत्रालय ने चुनिंदा रेल गाड़ियों का संचालन निजी हाथों में दिया था। प्लेटफार्मों के सोंदियकरण और उनको मॉडल स्टेशन बनाने ,पुराने स्टालों के ठेकों को समाप्त कर निजी बड़ी कंपनियों को ठेके देने का काम रेल महकमा पहले ही कर चुका है।
सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार अब रेल मंत्रालय भारतीय रेल की खाली पड़ी करोड़ों की ज़मीन निजी कंपनियों को देने जा रही है। मंत्रालय ने हाल ही में पीपीपी मॉडल के तहत खाली पड़ी ज़मीन को विकसित करने के नाम पर बिड जारी कर निजी कंपनियों का रास्ता खोल दिया है। राजधानी दिल्ली के तीस हज़ारी और कश्मीरी गेट से सटी रेलवे कॉलोनी की ज़मीन को लीज़ पर देने की सभी औपचारिकतायें पूरी की जा चुकी हैं। इस बेशक़ीमती ज़मीन जो लगभग 21800 वर्गमीटर है की रिज़र्व प्राइस महज़ 393 करोड़ रखी गयी है। इसके बाद मंत्रालय की निगाह देश भर की 84 रेलवे कॉलोनियों पर लगी है। वाराणसी, देहरादून की कॉलोनियां पहले ही इसकी शिकार हो चुकी हैं।
जानकारों का मानना है कि धीरे धीरे सरकार अधिकांश सेवाएँ निजी क्षेत्र में देने की तैयारी में है। कोरोना काल में बस ,विमान ,मेट्रो सेवाएँ शुरू हो गयीं लेकिन रेल सेवाएँ शुरू नहीं की गयी हैं ,मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि देरी का बड़ा कारण कुछ और सेवाओं को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी से जुड़ा है।