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चीन के दबाव में आई नरेंद्र मोदी सरकार? अधिकारियों-नेताओं को भेजी गई तिब्बत के बारे में ये सलाह

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: March 2, 2018 09:05 IST

कैबिनेट सचिव पीके मिश्रा ने एक नोट भेजा हैं जिसमें दलाई लामा के 60 साल के निर्वासन पर आयोजित कार्यक्रम में नेताओं और अधिकारियों को ना शामिल होने की हिदायत दी गई है।

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निर्वासित तिब्बतियों के प्रति भारत सरकार के रुख में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहा है। कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा ने वरिष्ठ नेताओं और सचिवालयों को एक नोट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्तों के लिए बेहद संवेदनशील समय है। इसलिए मार्च के अंत में शुरू हो रहे दलाई लामा के कार्यक्रम में शिरकत ना करने की हिदायत दी गई है। यह आयोजन 'तिब्बती लीडरशिप इन इंडिया' कर रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार यह नोट 22 फरवरी को विदेश सचिव विजय गोखले ने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को लिखा था। चार दिन बाद पीके सिन्हा ने सभी सीनियर नेताओं और सरकारी विभागों को इसे भेज दिया और इस कार्यक्रम में शामिल ना होने की हिदायत दी है। सिन्हा ने इसे संवेदनशील मसला कहा। इसमें शामिल होने वाले भारतीय नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। तिब्बत के धार्मिक गुरू दलाई लामा को चीन एक खतरनाक अलगाववादी नेता मानता है। उन्होंने पिछले 6 दशक से भारत में शरण ली हुई है।

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बीजिंग में पूर्व एंबेसडर रहे विदेश सचिव गोखले ने अपनी नोट में पीके सिन्हा से निवेदन किया है कि इसके लिए सभी मंत्रालय और सरकारी विभागों के साथ राज्य सरकारों को भी निर्देश जारी किया जाए कि वो इस आगामी आयोजन से संबंधित कोई निमंत्रण स्वीकार ना करें।

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गोखले ने अपनी नोट में कहा कि हम जानते हैं कि 1 अप्रैल को 2018 को नई दिल्ली के त्यागराज कॉम्प्लेक्स में एक बड़ा कार्यक्रम हो रहा है जिसका नाम है 'थैंक्यू इंडिया'। जिसमें आयोजक भारतीय अधिकारियों को बुलाएंगे। इसके बाद दिल्ली और अन्य राज्यों में कई आयोजन किए जाएंगे। गोखले ने आगे लिखा कि चीन के साथ भारत के रिश्तों का यह बेहद संवेदनशील समय है। अगर भारत सरकार के नेता, अधिकारी या राज्य सरकारें भाग लेती हैं तो इसका चीन के साथ रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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