मॉडल किराया एक्ट: विवाद की स्थिति में किरायेदार को देना होगा दोगुना-चौगुना किराया!
By संतोष ठाकुर | Updated: July 24, 2019 07:27 IST2019-07-24T07:27:58+5:302019-07-24T07:27:58+5:30
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर कोई विवाद होता है तो पहले दो महीने के मामलों में सुरक्षा राशि जब्त करने के साथ ही उसके बाद किराया राशि में इजाफा का प्रावधान है. गलती होने पर किरायेदार को अगले महीने दोगुना या फिर उसके बाद के महीनों में तिगुना और चौगुना तक किराया देना पड़ सकता है.

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पर निर्भर करता है कि वे इसे पूरी तरह से लागू करते हैं या फिर इसमें कुछ बदलाव के साथ इसे अमल में लाते हैं.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि नए किराया कानून मसौदा के एक बार कानून बन जाने पर देश में मकान-दुकान पर किरायेदारों के कब्जों की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी. इसकी वजह यह है कि इसमें तीन स्तर पर निगरानी होगी. सभी किराये के घर-दुकान-कार्यालय को लेकर रेंट एग्रीमेंट दर्ज होगी. उसके बाद रेगुलेटरी-अथॉरिटी होगी.
उसके उपरांत टिब्यूनल-पंचाट की व्यवस्था होगी. यही नहीं, इन प्राधिकरणों-पंचाट में सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाएगी. ऐसे में यह किरायेदारों और संपत्ति मालिकों के बीच एक विश्वास उत्पन्न करेगा. इससे कब्जों के डर से किराये पर नहीं आने वाले मकान-दुकान-कार्यालय भी उपलब्ध हो पाएंगे. किरायों में कमी भी आएगी क्योंकि डिमांड-सप्लाई या मांग-आपूर्ति के बीच अंतर कम होगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर कोई विवाद होता है तो पहले दो महीने के मामलों में सुरक्षा राशि जब्त करने के साथ ही उसके बाद किराया राशि में इजाफा का प्रावधान है. गलती होने पर किरायेदार को अगले महीने दोगुना या फिर उसके बाद के महीनों में तिगुना और चौगुना तक किराया देना पड़ सकता है.
हालांकि इस तरह की रियायत के लिए सभी को अपना रेंट एग्रीमेंट पंजीकृत कराना होगा. हमारा लक्ष्य है कि लोग अपनी संपत्ति को किराये पर देने के लिए इस विश्वसनीय रास्ता को अपनाएं और बिना रेंट एग्रीमेंट को पंजीकृत कराए हुए अपनी संपत्ति को किसी को किराये पर नहीं दें. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक मॉडल एक्ट बनाया है.
यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पर निर्भर करता है कि वे इसे पूरी तरह से लागू करते हैं या फिर इसमें कुछ बदलाव के साथ इसे अमल में लाते हैं. हालांकि उन्हें यह कानून अपनाना होगा क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन बिंदुओं पर राज्यों ने सहमति दर्ज कराई थी उसमें किराया कानून को अपनाना भी शामिल था.
हालांकि वह चाहेंगे तो इसमें कुछ बदलाव कर पाएंगे. क्या दिल्ली-मुंबई और अन्य शहरों में पहले से किराये पर दिए हुए मकान-दुकान-कार्यालय भी इसके दायरे में आएंगे? खासकर दिल्ली-मुंबई जहां पर भाजपा से काफी दुकानदार-कारोबारी-व्यवसायी जुड़े हुए हैं, क्या वे इस कानून को स्वीकार करेंगे? उन्होंने इस सवाल पर कोई सीधा जवाब देने की जगह कहा कि फिलहाल इस पर सभी वगोेर्ें और राज्यों से चर्चा की जाएगी. ऐसे में एक बार मंथन के बाद ही कोई अंतिम निर्णय किया जा सकेगा.