असम राइफल्स पर नियंत्रण को लेकर रक्षा और गृह मंत्रालय में गहरी हुई खींचतान, हाईकोर्ट पहुंचा मामला!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 24, 2019 08:25 AM2019-10-24T08:25:56+5:302019-10-24T08:25:56+5:30
गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें इस पैरा मिलिट्री फोर्स का पूरा नियंत्रण मिलने की बात कही है। रक्षा मंत्रालय ऐसा नहीं चाहता। इस मसले पर असम राइफल्स के डीजी अगले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर सकते हैं।
असम राइफल्स पर पूरे नियंत्रण को लेकर गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में ठन गई है। गृह मंत्रालय का प्रस्ताव है कि असम रायफल्स का पूरी तरह उसके अधीन होनी चाहिए लेकिन भारतीय सेना इसका विरोध कर रही है। गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें इस पैरा मिलिट्री फोर्स का पूरा नियंत्रण मिलने की बात कही है। रक्षा मंत्रालय ऐसा नहीं चाहता। इस मसले पर असम राइफल्स के डीजी अगले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर सकते हैं।
19 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में भी इस मसले पर सुनवाई होनी है। असम राइफल्स एक्स सर्विसमैन वेलफेयर असोसिएशन ने एक अपील दायर की है जिसमें कहा गया है कि असम राइफल्स से दोहरा नियंत्रण हटना चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक असम राइफल्स का प्रशासनिक कंट्रोल गृह मंत्रालय के पास है लेकिन इसके ऑपरेशन पर रक्षा मंत्रालय का नियंत्रण है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) जल्द ही असम राइफल्स के भविष्य का फैसला करेगी जो काफी वक्त से दोहरे कंट्रोल का सामना कर रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गृह मंत्रालय के असम राइफल्स पर पूरे कंट्रोल के प्रस्ताव पर जनरल बिपिन रावत ने चिंता जाहिर की है। आर्मी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को मामले के सभी पहलुओं से अवगत कराने के लिए एक विस्तृत प्रेजेंटेशन तैयार किया है। आर्मी चाहती है कि असम राइफल्स का प्रशासनिक और ऑपरेशन कंट्रोल उन्हीं के पास हो।
आर्मी यह भी सुझाव देगी कि बॉर्डर की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईटीबीपी और बीएसएफ की बटानियन का नियंत्रण भी सेना के पास होना चाहिए। गृह मंत्रालय इससे अलग सोचता है। उसका मानना है कि सभी पैरा मिलिट्री फोर्स का पूरा नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास होना चाहिए।
फिलहाल गृह मत्रालय के पास असम राइफल्स के अलावा आईटीबीपी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एनएसजी और एसएसबी का कंट्रोल है।
असम राइफल्स म्यांमार से जुड़े 1643 किमो लंबे बॉर्डर की सुरक्षा करती है। इसके अलावा आर्मी के साथ मिलकर नॉर्थ-ईस्ट में आतंक विरोधी ऑपरेशन को अंजाम देती है। इसमें करीब 65,00 जवान हैं। शांति और 'छद्म युद्ध' के दौरान भारत-चीन और भारत-म्यांमार की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। सेना के नियंत्रण में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप बल के रूप में कार्य स्थिति केंद्रीय अर्द्धसैनिक आपरेशनों के नियंत्रण से बाहर चला जाता है।