Madhya Pradesh: महू में सरकारी जमीन को निजी संपत्ति में बदलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है जो प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा रहा है। महू के एसडीएम राकेश परमार पर आरोप है कि उन्होंने 1.214 हेक्टेयर भूमि, जो ग्राम हरसोला के सर्वे नंबर 1010/4 के तहत शासकीय चरनोई के रूप में दर्ज थी, उसे निजी नामों में दर्ज करने का आदेश दिया। इस जमीन का बाजार मूल्य 10 करोड़ रुपये से अधिक बताया जाता है, और इसके निजी होने की खबर से स्थानीय प्रशासन में गहमागहमी छा गई है।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब संभागायुक्त सुदाम खाड़े ने जांच बैठाई। उन्होंने महू एसडीएम परमार के इस कथित आदेश की गंभीरता को देखते हुए इंदौर के कलेक्टर शिवम वर्मा से जमीन से संबंधित सारे आदेश और दस्तावेज तलब किए। कलेक्टर ने तत्परता दिखाते हुए आवश्यक दस्तावेज संभागायुक्त को भेज दिए। जांच के दौरान यह सामने आया कि एसडीएम परमार ने 6 जून 2025 को यह विवादित आदेश जारी किया था।
इस आदेश के अनुसार, भूमि को लक्ष्मीबाई पत्नी रामकिशन के नाम पर निजी संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया।विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे पहले 18 अप्रैल 2022 को इंदौर कलेक्टर ने उक्त जमीन को भू-राजस्व संहिता 1959 के तहत शासकीय चुने घोषित किया था और पट्टा निरस्त करने का आदेश भी जारी किया था। हालांकि, इसका ध्यान नहीं रखा गया और अपील प्रकरण में सही अभिलेखों का गंभीरता से अवलोकन किए बिना विवादित आदेश पारित कर दिया गया।
आरोप पत्र में संभागायुक्त ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसडीएम राकेश परमार का दायित्व था कि वह शासकीय भूमि को सुरक्षित रखें और इसे निजीकरण से बचाएं, लेकिन यहां उनके द्वारा साफ लापरवाही बरती गई। इस लापरवाही को मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के तहत कदाचार और दंडनीय माना गया है। अब एसडीएम परमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।