नागरिकता बिल पर भड़कीं महबूबा मुफ्ती की बेटी, कहा, 'मुस्लिमों के लिए कोई देश नहीं'
By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 5, 2019 09:46 AM2019-12-05T09:46:31+5:302019-12-05T09:46:31+5:30
Sana Iltija Javed: महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तजा जावेद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा है कि ये इसबात का संकेत है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करती है।
5 अगस्त को आर्टिकल 370 को हटाते हुए जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं। ऐसे में उनकी बेटी सना उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स चला रही हैं।
सना ने की नागरिकता संशोधन विधेयक की आलोचना
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश करने के लिए मंजूरी दिए जाने के कुछ घंटों बाद ही सना ने महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, ''इंडिया-नो कंट्री फॉर मुस्लिम्स। (भारत-मुस्लिमों के लिए कोई देश नहीं)''
नागरिकता संशोधन बिल से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यों के लिए भात की नागरिकता पाना आसान हो जाएगा। इस बिल का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और इसे मुस्लिमों के साथ भेदभाव बता रहे हैं। हालांकि केंद्र ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार लोगों की मदद करने उसका कर्तव्य है।'
सना पहले भी साध चुकी हैं मोदी सरकार पर निशाना
ये पहली बार नहीं है जब महबूबा मुफ्ता या उनकी बेटी ने सरकार पर मुस्लिमों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। महीनों पहले जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद महबूबा मुफ्ती के अकाउंट से ट्वीट किया गया था, 'भारत सरकार का इरादा स्पष्ट और भयावह है। वे भारत में एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी को बदलना चाहते हैं, मुसलमानों के अधिकार इस हद तक कम करना चाहते हैं, जिससे वे अपने राज्य में दूसरे दर्जे के नागरिक बन जाएं।'
एहतियाती निरोध महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को 'एहतियाती हिरासत' में रखा गया है और उनको रिहा जाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
नागरिकता संशोधन बिल का उद्देश्य पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले छह समुदायों-हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी--के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता देना है जो भारत में बिना वैध कागजों के आए थे या जिनके दस्तावेज समाप्त हो चुके हैं। ये बिल 1995 के कानून में संशोधन करके दिसंबर 2014 या उससे पहले आने वाले इन छह समुदाय के लोगों को अवैध प्रवासी नियम से छूट देगा।