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महबूबा मुफ्ती की चेतावनी, कहा- Article 35A छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर, जलकर हो जाएगा राख

By रामदीप मिश्रा | Updated: July 28, 2019 13:59 IST

महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में कहा, 'अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे वो हाथ ही नहीं वो सार जिस्म जल के राख हो जाएगा'

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ठळक मुद्देजम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने Article 35A (अनुच्छेद 35ए) को लेकर देश की नरेंद्र मोदी की सरकार को इशारों की इशारों ही इशारों में चेतावनी दे दी।उन्होंने कहा कि अगर जिसने इसे हटाने की कोशिश की उसका शरीर राख कर दिया जाएगा। उनकी इस टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। 

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने Article 35A (अनुच्छेद 35ए) को लेकर देश की नरेंद्र मोदी की सरकार को इशारों की इशारों ही इशारों में चेतावनी दे दी कि अगर जिसने इसे हटाने की कोशिश की उसका शरीर राख कर दिया जाएगा। उनकी इस टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। 

दरअसल,  महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में कहा, 'अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे वो हाथ ही नहीं वो सार जिस्म जल के राख हो जाएगा'

इससे पहले वह कह चुकी हैं कि अनुच्छेद 370 देश के साथ हमारे रिश्तों और जुड़ाव का आधार है। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है और राज्य से संबंधित कानून बनाने की संसद की शक्ति को सीमित करता है। अनुच्छेद 35ए राज्य विधानसभा को विशेषाधिकार देने के लिए ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित करने की शक्ति देता है।

क्या है अनुच्छेद 35-ए (Article 35A)

14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके। वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना, जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है।

जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। अनुच्छेद 35-ए की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है। 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिंदू परिवार आज तक शरणार्थी हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक 1947 में जम्मू में 5 हजार 764 परिवार आकर बसे थे। इन परिवारों को आज तक कोई नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं। अनुच्छेद 35-ए की वजह से ये लोग सरकारी नौकरी भी हासिल नहीं कर सकते। और ना ही इन लोगों के बच्चे यहां व्यावसायिक शिक्षा देने वाले सरकारी संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं।

जम्मू कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता। अनुच्छेद 35-ए के मुताबिक अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं। इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था।

टॅग्स :महबूबा मुफ़्तीजम्मू कश्मीर
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