नई दिल्ली: भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) को लेकर भारत सरकार ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें यह कहा जा रहा था कि कोवैक्सीन को जल्दबाजी और राजनीतिक दबाव में मंजूरी दी गई है।
भारत सरकार ने गुरुवार को इन मीडिया रिपोर्ट्स को भ्रामक बताया साथ ही सफाई में कहा कि राजनीतिक दबाव के कारण कोवैक्सीन के लिए विनियामक अनुमोदन का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्ट्स भ्रामक हैं। केंद्र सरकार ने कहा आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए कोविड-19 टीकों को मंजूरी देने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया था।
वहीं वैक्सीन निर्माता भारतीय कंपनी बायोटेक की ओर से मीडिया की खबरों का खंडन किया गया। साथ ही बयान जारी कर कंपनी ने यह का कि हम कुछ चुनिंदा व्यक्तियों और समूहों द्वारा कोवैक्सीन के खिलाफ लक्षित आख्यान की निंदा करते हैं, जिनके पास टीके या वैक्सीन विज्ञान में कोई विशेषज्ञता नहीं है। यह सर्वविदित है कि उन्होंने महामारी के दौरान गलत सूचना और फर्जी खबरों को बनाए रखने में मदद की।
बता दें की भारत में कोरोना के खिलाफ तीन वैक्सीनों का इस्तेमाल हो रहा है। वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इनमें से एक है, यह स्वदेशी वैक्सीन है। दूसरी वैक्सीन कोविशील्ड भी स्वदेशी वैक्सीन है और इसके अलावा रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन भी लगाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कोवैक्सीन को इमजेंसी यूज के लिए स्वीकृति प्रदान की थी।
साथ ही मशहूर मेडिकल जर्नल 'द लैंसेट' ने कोविड-19 की स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' का लोहा माना था। जर्नल ने अपने तीसरे चरण के ट्रायल पर यह पाया है कि कोवैक्सीन की दो डोज कोविड-19 के खिलाफ 77.8 फीसदी असरकारक है। इस वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने बनाया है।