मायावती के दावे में कितना दम है, आंकड़ों से जानिए?

By विकास कुमार | Updated: June 5, 2019 19:23 IST2019-06-05T15:27:22+5:302019-06-05T19:23:20+5:30

भारतीय राजनीति में जातिगत वोटबैंक का खात्मा हो गया ये कहना जल्दबाजी होगी. पीएम मोदी के मुताबिक, अब चुनाव अर्थमेटिक से नहीं केमेस्ट्री से जीते जाते हैं लेकिन उनके इस दावे की अग्निपरीक्षा बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ही हो सकती है.

Mayawati says BSP will fight election alone in 11 UP MLA by-election | मायावती के दावे में कितना दम है, आंकड़ों से जानिए?

मायावती के दावे में कितना दम है, आंकड़ों से जानिए?

Highlightsगैर यादव ओबीसी वोटों में 73 प्रतिशत बीजेपी के पाले में गए.यादव जाति का भी 23 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीते दिन एक प्रेस कांफ्रेंस में एलान किया कि यूपी में 11 सीटों के लिए होने वाले विधानसभा उपचुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में उतरेगी.  मायावती के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में सपा का वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ और खुद एसपी का कोर वोटबैंक उससे छिटक गया. मायावती ने कहा कि कन्नौज में डिंपल यादव का चुनाव हार जाना इस बात की पुष्टि करता है. लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि जब से सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है तबसे अखिलेश-डिंपल ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है. 

मायावती के एलान के साथ ही अखिलेश यादव ने भी घोषणा कर दिया कि सपा भी सभी 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. 

मायावती के आरोप पर सपा के प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर यादव वोट मायावती को ट्रांसफर नहीं हुए तो यादव बहुल सीटों पर बसपा कैसे जीत गई? उन्होंने कहा कि उनके जमीनी कार्यकर्ताओं ने उन्हें गलत फीडबैक दिया है. 

मायावती के दावे में दम नहीं 

जौनपुर, गाजीपुर, श्रावस्ती, घोसी और लालगंज यादव बहुल सीटें हैं और इन सीटों पर मायावती को जीत मिली है. वहीं, मुस्लिम बहुल सहारनपुर(42%), नगीना(43.5%) और अमरोहा(39%) में भी बीएसपी के उम्मीदवार जीते हैं.  ये आंकड़ें बता रहे हैं कि मुस्लिम-यादव, सपा का परंपरागत वोटबैंक बीएसपी की तरफ ट्रांसफर हुआ है. मायावती के बुनियादी दावे यहीं पर खारिज होते हुए प्रतीत होते हैं. 10 प्रतिशत यादव, 22 प्रतिशत जाटव और 19 प्रतिशत मुस्लिमों की जनसंख्या के दम पर महागठबंधन यूपी में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने को लेकर आशान्वित थी. लेकिन इस चुनाव में ब्रांड मोदी के आगे सभी जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए. 

सपा-बसपा के वोटबैंक में बीजेपी की सेंधमारी 

गैर यादव ओबीसी वोटों में 73 प्रतिशत बीजेपी के पाले में गए. यादव जाति का भी 23 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला. गैर जाटव वोटों का 48 प्रतिशत बीजेपी को मिला वहीं , जाटव वोट जो मायावती का कोर वोटबैंक माना जाता है उसका भी 17 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. कुर्मी-कोईरी का 80 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 49 प्रतिशत वोट मिले.

Source- LOKNITI-CSDS

इसका मतलब है कि बीजेपी ने सपा-बसपा के कोर वोटबैंक में भी अच्छी सेंधमारी की है. राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के समीकरण के सामने जातीय समीकरण हवा में उड़ गए. जानकारों के अनुसार मोदी सरकार की वेलफेयर योजनाओं का फायदा अत्यंत पिछड़ी जातियों तक पहुंचा जिसके कारण बीजेपी को यूपी में फायदा हुआ. 

2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती को एक भी सीट नहीं मिली थी लेकिन इस बार उनकी पार्टी को 10 सीटों पर विजय प्राप्त हुआ है. वहीं, सपा फिर से 5 सीटों पर ही सिमट गई. भारतीय राजनीति में जातिगत वोटबैंक का खात्मा हो गया ये कहना जल्दबाजी होगी. पीएम मोदी के मुताबिक, अब चुनाव अर्थमेटिक से नहीं केमेस्ट्री से जीते जाते हैं लेकिन उनके इस दावे की अग्निपरीक्षा बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ही होगी. 

Web Title: Mayawati says BSP will fight election alone in 11 UP MLA by-election