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Mathura: चांचर की प्रस्तुति, छात्रों ने लोगों का मन मोहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 7, 2024 18:13 IST

Mathura: चांचर नृत्य युद्ध कला पर आधारित है। ब्रज की लठामार होली के रूप में देखने को मिलता है।

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ठळक मुद्देमां सरस्वती के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलित और माल्यार्पण कर किया।सूरदास जी ने भी अपने पदों में इस नृत्य का उल्लेख किया है।

मथुराः ब्रज लोककला साधिका ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ. सीमा मोरवाल युद्ध कला पर आधारित ब्रज की विलुप्त हो चुके चांचर नृत्य को पुनर्जीवित करने के प्रयास में सफल हुई। उत्तर प्रदेश जनजातीय एवं लोक कला संस्थान लखनऊ के तत्वावधान में के डी एस इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित 'सृजन' 10 दिवसीय कार्यशाला के बाद शनिवार को स्कूल के छात्रों द्वारा चांचर की प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों का मन मोह  लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सन्त आदित्यानंद महाराज और विशिष्ट अतिथि जिला विकास अधिकारी गरिमा खरे, लेबर कमिश्नर एम एल पाल और  केडीएस ग्रुप के चेयरमैन एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह ने मां सरस्वती के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलित और माल्यार्पण कर किया।

इस मौके पर प्रशिक्षका डॉ. सीमा मोरवाल ने चांचर नृत्य कला के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि चांचर नृत्य युद्ध कला पर आधारित है। इसी का विस्तार ब्रज की लठामार होली के रूप में देखने को मिलता है। गांव में गाय चराते समय कृष्ण ने कंस के असुरों से रक्षा हेतु यह युद्ध कला नृत्य के ग्वालों को सिखाई। जिससे वह अपनी आत्मरक्षा भी कर सके।

साथ ही चांचर के रूप में ग्वालिन भी इस नृत्य को करती हैं। जिसमें तालियों का प्रयोग बहुतायत किया जाता है। चांचर का अर्थ है हाथ के प्रहार से या डंडों के प्रहार से ध्वनि उत्पन्न करना तथा खेलते-खेलते जो भी बालक पीछे रह जाता है। उसे नृत्य से बाहर कर दिया जाता है। सूरदास जी ने भी अपने पदों में इस नृत्य का उल्लेख किया है।

वहीं  हरिवंशपुराण एवं कवि जायसी ने भी इस का उल्लेख किया है। हमीर रासो में भी इस नृत्य का वर्णन मिलता है। यह कला ब्रज से गुजरात में भी पहुंची, जिसे अब डांडिया कहा जाता है। आज से 20-25 वर्ष पूर्व यह नृत्य विधा ब्रज में प्रचलन में थी। लेकिन संरक्षण के अभाव में यह कला विलुप्त हो गयी थी।

इस मौके पर अतिथियों की ओर से नृत्य में भाग लेने वालों छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में गरिमा खरे जी ने कहा हमारा देश विविधताओं से भरा है ब्रज में ललित कलाओं का भंडार हैं सीमा मोरवाल जी इन्हे संजोने का कार्य कर रही है।

इस इस मौके पर विशेष रूप से मौजूद लोगों में  वंदना सिसोदिया ,फिल्म निर्माता निर्देशक मोनू राजावत, वंदना सिसोदिया,कपिल, सोनिया  पत्रकार मनोजचौधरी, रचना मथुरिया, संदीप कौर, हेमंत गौतम, गोपाल, यशवंत आदि रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव शर्मा ने और सभी का आभार प्रधानाचार्य मेजर अमित सिंह तोमर ने वक्त किया।

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