विवाह प्रमाण पत्र केवल साक्ष्य, शादी को अवैध नहीं कह सकते?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिया अहम फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 30, 2025 17:29 IST2025-08-30T17:28:54+5:302025-08-30T17:29:57+5:30

न्यायमूर्ति मनीष निगम ने कहा कि जब हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार हिंदू विवाह संपन्न होता है, तब इस अधिनियम की धारा आठ(एक) के तहत विवाह के साक्ष्य के लिए राज्य सरकार को विवाह पंजीकरण के नियम बनाने का अधिकार है।

Marriage certificate only evidence can't marriage declared illegal Allahabad High Court gives important decision | विवाह प्रमाण पत्र केवल साक्ष्य, शादी को अवैध नहीं कह सकते?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिया अहम फैसला

सांकेतिक फोटो

Highlightsरजिस्टर में विवाह की प्रविष्टि कराने में विफल रहने की वजह से विवाह की वैधता प्रभावित नहीं होती है।अनिवार्य पंजीकरण के लिए नियम बनाती है,लेकिन पंजीकरण के अभाव में विवाह को अवैध घोषित करने का नियम नहीं हो सकता।तलाक के लिए 23 अक्टूबर, 2024 को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(बी) के तहत आवेदन दाखिल किया था।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा है कि यह स्थापित कानून है कि विवाह प्रमाण पत्र, उस विवाह को साबित करने का एक साक्ष्य है लेकिन इस प्रमाण पत्र की अनुपलब्धता विवाह को अवैध नहीं बनाती है। इस टिप्पणी के साथ उच्च न्यायालय ने आजमगढ़ की परिवार अदालत के निर्णय को रद्द कर दिया। निचली अदालत ने विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र पेश करने से छूट देने का याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया था। सुनील दूबे नामक एक व्यक्ति की रिट याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति मनीष निगम ने कहा कि जब हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार हिंदू विवाह संपन्न होता है, तब इस अधिनियम की धारा आठ(एक) के तहत विवाह के साक्ष्य के लिए राज्य सरकार को विवाह पंजीकरण के नियम बनाने का अधिकार है।

 उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त के अपने निर्णय में कहा, “लेकिन रजिस्टर में विवाह की प्रविष्टि कराने में विफल रहने की वजह से विवाह की वैधता प्रभावित नहीं होती है। वैसे तो राज्य सरकार विवाह के अनिवार्य पंजीकरण के लिए नियम बनाती है,लेकिन पंजीकरण के अभाव में विवाह को अवैध घोषित करने का नियम नहीं हो सकता।”

मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता पति और प्रतिवादी पत्नी ने पारस्परिक सहमति से तलाक के लिए 23 अक्टूबर, 2024 को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(बी) के तहत आवेदन दाखिल किया था। आवेदन लंबित रहने के दौरान परिवार अदालत के न्यायाधीश ने चार जुलाई, 2025 को विवाह प्रमाण पत्र दाखिल करने के लिए 29 जुलाई, 2025 की तिथि निर्धारित की।

याचिकाकर्ता ने इस अनुरोध के साथ एक प्रार्थना पत्र दिया कि पंजीकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है और हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह का पंजीकरण कराने की अनिवार्यता नहीं है, इसलिए उसे विवाह प्रमाण पत्र दाखिल करने से छूट दी जाए। इस प्रार्थना पत्र का प्रतिवादी ने भी समर्थन किया। हालांकि, निचली अदालत ने 31 जुलाई, 2025 को याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया जिसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय चला गया।

Web Title: Marriage certificate only evidence can't marriage declared illegal Allahabad High Court gives important decision

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