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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण लागूः सरकारी-अर्धसरकारी नौकरियों में 16 फीसदी, शैक्षणिक क्षेत्र में भी आरक्षण

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 2, 2018 08:46 IST

कैसे 68 प्रतिशत तक पहुंच चुका है महाराष्ट्र में आरक्षण? पढ़ें ये रिपोर्ट...

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ठळक मुद्देनौकरियों में 16 फीसदी आरक्षण देने को लेकर अधिसूचना महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को जारी कर दी मराठा समाज की नौकरियां और शैक्षणिक आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की शर्त होगीअखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने कहा है कि हमें आरक्षण नहीं चाहिए

मुंबई, 1 दिसंबरः राज्य में मराठा समाज को शिक्षा के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में 16 फीसदी आरक्षण देने को लेकर अधिसूचना महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को जारी कर दी. अधिसूचना जारी हो जाने के कारण समाज के सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े (एसईबीसी) प्रवर्ग के लिए यह आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि यह आरक्षण किसी अन्य प्रवर्ग के आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा. शैक्षणिक आरक्षण अनुदानित, बिना अनुदानित, निजी सभी तरह की शैक्षणिक संस्थाओं में लागू रहेगा.

नौकरियों का आरक्षण सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, महामंडलों, महाराष्ट्र सहकारी संस्था कानून के तहत स्थापित व राज्य सरकार की ज्यादा भागीदारी वाले तमाम कार्यालयों के अलावा महापालिका, नगरपालिका, जिला परिषद जैसी स्थानीय स्वराज संस्थाओं में भी लागू हो गया है. यह आरक्षण चिकित्सा, तकनीकी व शिक्षा क्षेत्र के अतिविशेषीकृत पदों, तबादलों व प्रतिनियुक्ति से भरे जाने वाले पदों, 45 दिन से कम अवधि की अस्थायी नियुक्तियों और किसी भी संवर्ग या श्रेणी के इकलौते पद के लिए लागू नहीं होगा.

राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पदों पर भी यह आरक्षण लागू नहीं होगा. अधिसूचना के मुताबिक शिक्षा व नौकरियों के खुले प्रवर्ग में भी मराठा समाज के विद्यार्थियों और उम्मीदवारों को को गुणवत्ता के आधार पर मौका मिल सकेगा. उन्हें खुले प्रवर्ग में मौका देने की वजह से समाज के लिए तय 16 फीसदी आरक्षण कम नहीं किया जाएगा. साथ ही समाज के यानी एसईबीसी प्रवर्ग में किसी व्यक्ति के लिए आरक्षित पद रिक्त रहने की स्थिति में पांच वर्ष तक उस पद पर किसी अन्य प्रवर्ग के व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जा सकेगी.

केंद्रीय या राज्य कानून के जरिये साकार राज्य के मालिकाना हक वाले मंडलों व महामंडलों में आरक्षण लागू रहेगा. लेकिन आईएएस, आईपीएस सहित केंद्र सरकार की किसी भी नौकरी में यह आरक्षण लागू नहीं रहेगा. अधिसूचना से यह साफ हो जाता है कि यह आरक्षण शैक्षणिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़ी जाति के लिए है. इसलिए मराठा समाज के अतिरिक्त वक्त गुजरने के साथ योग्य प्रक्रिया के जरिये जिन जातियों का पिछड़ापन साबित होगा, उन्हें भविष्य में आरक्षण का लाभ मिल सकता है.

क्रीमीलेयर की शर्त होगी मराठा समाज की नौकरियां और शैक्षणिक आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की शर्त होगी. यानी क्रीमिलेयर के उम्मीदवारों या विद्यार्थियों को ही इस आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. बॉक्स लिंगायत व ब्राह्मणों को भी चाहिए आरक्षण मुंबई : मराठा समाज के बाद धनगर व मुस्लिम समाज की आरक्षण की मांग के बीच अब राज्य के ब्राह्मण समाज ने भी राज्य सरकार से समाज का आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन का सर्वे करने का आग्रह किया है.

अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने कहा है कि हमें आरक्षण नहीं चाहिए, लेकिन ब्राह्मणों के पिछड़ेपन का सर्वेक्षण होना चाहिए. महासंघ ने गुजरात में ब्राह्मणों को दिए गए आरक्षण को समर्थन दिया है. लिंगायत समाज की कुछ जातियों को ओबीसी के तौर पर आरक्षण उपलब्ध है, लेकिन समूचे लिंगायत समाज को आरक्षण की मांग के लिए शनिवार को लातूर के तहसील कार्यालय के सामने धरना दिया गया था.

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