Manmohan Singh Death News: मनमोहन सिंह का निधन राष्ट्र के लिए बड़ी क्षति?, पीएम मोदी बोले- ईमानदारी सादगी का प्रतिबिंब जीवन, देखें वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 27, 2024 11:51 IST2024-12-27T11:20:38+5:302024-12-27T11:51:04+5:30

Manmohan Singh Death News: दयालु व्यक्ति, विद्वान अर्थशास्त्री और सुधारों के लिए समर्पित राजनीतिक नेता के रूप में याद किया जाएगा।

Manmohan Singh Death News live updates PM Modi says Manmohan Singh's demise a big loss to nation see video honesty, simplicity distinguished parliamentarian | Manmohan Singh Death News: मनमोहन सिंह का निधन राष्ट्र के लिए बड़ी क्षति?, पीएम मोदी बोले- ईमानदारी सादगी का प्रतिबिंब जीवन, देखें वीडियो

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Highlightsगरीबी और संघर्षों से ऊपर उठने की सीख देता है और ऊंचाइयां हासिल कीं।कुछ खोना और जीवन के विभिन्न पहलुओं में बहुत कुछ हासिल करना सामान्य बात नहीं है।मनमोहन सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी, सादगी का प्रतिबिंब था।

Manmohan Singh Death News: आधुनिक भारत के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह का निधन राष्ट्र के लिए बड़ी क्षति है। मनमोहन सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी, सादगी का प्रतिबिंब था। वह एक प्रतिष्ठित सांसद थे। विभाजन में इतना कुछ खोना और जीवन के विभिन्न पहलुओं में बहुत कुछ हासिल करना सामान्य बात नहीं है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ी को गरीबी और संघर्षों से ऊपर उठने की सीख देता है और ऊंचाइयां हासिल कीं। हमेशा एक दयालु व्यक्ति, विद्वान अर्थशास्त्री और सुधारों के लिए समर्पित राजनीतिक नेता के रूप में याद किया जाएगा। मनमोहन सिंह का जीवन हमेशा यह सबक देगा कि कैसे कोई व्यक्ति अभाव और संघर्ष से ऊपर उठकर सफलता प्राप्त कर सकता है।

     

उन्होंने सिंह की प्रशंसा करते हुए शुक्रवार को कहा कि साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद वह देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे। मोदी ने एक प्रतिष्ठित सांसद के रूप में उनकी सराहना करते हुए कहा कि सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने सुधारों के प्रति सिंह की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि देश के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सिंह का जीवन भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमेशा एक सीख के रूप में काम करेगा कि कैसे कोई व्यक्ति अभावों और संघर्षों से ऊपर उठकर सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है।

आधुनिक भारत के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने एक दशक लंबे कार्यकाल (2004-2014) के दौरान पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई की भी वकालत की। भारत ने उनके नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की, जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पारित किया तथा त्वरित कानूनी कार्रवाई के जरिये पर्यावरण की रक्षा के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की स्थापना की।

सदियों से भारत के आदिवासी समुदायों को अपनी जमीन के बारे में फैसलों से दूर रखा जाता रहा है। सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार ने इस कहानी को बदला। उनकी सरकार ने 2006 में वन अधिकार अधिनियम पारित किया, जिसके तहत वनों का नियंत्रण उन लोगों को सौंप दिया गया जो वहां रहते थे तथा उनकी रक्षा करते थे।

सिंह ने जुलाई 2008 में सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे आदिवासियों को वन भूमि पर उनके अधिकार प्रदान करने के लिए तेजी से कार्य करें। उन्होंने एक पत्र में लिखा था, ‘‘ यह सुनिश्चित करना मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि हमारे देश की आबादी के एक बहुत ही कमजोर वर्ग को अंततः उस भूमि पर अपने मूल अधिकार मिलें जो ऐतिहासिक रूप से उनके कब्जे में रही है।’’

मनमोहन सिंह सरकार ने 2008 में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से निपटने के लिए आठ सूत्री रणनीति ‘जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना’ (एनएपीसीसी) प्रस्तुत की। एनएपीसीसी के आठ प्रमुख मिशनों में राष्ट्रीय सौर मिशन शामिल है, जिसने देश को वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा नेता के रूप में उभरने के लिए आधार तैयार किया।

देश को हरित भारत मिशन दिया जो जैव विविधता में सुधार, बंजर भूमि को बहाल करने तथा जलवायु लचीलापन बढ़ाने पर केंद्रित है। सिंह ने जलवायु न्याय की पुरजोर वकालत की। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ के वाशिंगटन कार्यालय में 23 नवंबर को अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अनुचित कार्बन पाबंदियों को स्वीकार नहीं करेगा।

मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने पर्यावरण न्याय में तेजी लाने के लिए 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की स्थापना की। विनम्र, विद्वान, मृदुभाषी और आम सहमति बनाने वाले सिंह का बृहस्पतिवार को देर रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया।

वह 92 वर्ष के थे। कांग्रेस नेता 2004-2014 तक 10 वर्षों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। उससे पहले वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश के आर्थिक ढांचे को स्थापित करने में मदद की। वह वैश्विक वित्तीय तथा आर्थिक क्षेत्रों में एक बड़ा नाम थे।

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