मणिपुर हिंसा: सीबीआई करेगी महिलाओं के नग्न परेड वाली घटना की जांच, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 28, 2023 07:53 IST2023-07-28T07:47:03+5:302023-07-28T07:53:36+5:30
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हलफनामे में कहा गया है कि मणिपुर में बीते 4 मई को महिलाओं के साथ हुई बर्बर और शर्मसार करने वाली अमानवीय घटना की जांच सीबीआई करेगी।

मणिपुर हिंसा: सीबीआई करेगी महिलाओं के नग्न परेड वाली घटना की जांच, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा
नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई बर्बर और शर्मसार करने वाली अमानवीय घटना का सीबीआई से जांच कराने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि सरकार ऐसे अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति रखती है और मामला की तह में जाकर दोषियों को कड़ी सजा दिलाना ही सरकार का मकसद है।
केंद्र ने बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर में बीते 4 मई को महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वायरल वीडियो वायरल को शर्मनाक मानते हुए हलफनामे में कहा कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जा रहा है और मणिपुर के बाहर इस मुकदमे को समयबद्ध अवधि में पूरा किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है, "केंद्र सरकार महिलाओं के साथ हुए अपराधों को बहुत जघन्य मानती है। ऐसे अपराधों को न केवल गंभीरता से लेने की आवश्यकता है बल्कि ऐसे अपराध में न्याय भी जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि पूरे देश में महिलाओं के प्रति हुए बर्बर अपराधों का व्यापक निवारक प्रभाव पड़े।”
इसके साथ ही हलफनामे में आगे कहा गया है कि मणिपुर में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस थाना प्रभारी के लिए ऐसे सभी मामलों की तुरंत पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया गया है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है, “मणिपुर में महिलाओं के प्रति हुए घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए हिंसा प्रभावित पुलिस स्टेशन प्रभारी को आदेश दया गया है कि इस तरह के सभी मामलों की रिपोर्टिंग डीजीपी को अनिवार्य कर दी गई है और ऐसी घटनाओं की जांच सीधे डीजीपी की निगरानी में पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी।"
केंद्र ने हलफनामे में कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन घटनाओं की गंभीरता को ध्यान रखते हुए और न्याय की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार राज्य को अपेक्षित सुविधाएं प्रदान करेगा और जांच की कार्यवाही पर कड़ी नजर रखेगा।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हलफनामे में कहा गया है, “मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य घटना है और इसके प्रकाश में आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय मामले की स्वयं लगातार निगरानी कर रहा है।”
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच द्वारा भयावह वीडियो के स्वत: संज्ञान लेने के विषय में यह हलफनामा दायर किया है। चीफ जस्टिस ने वायरल वीडियो को बेहद परेशान करने वाला और संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन बताया था। चीफ जस्टिस की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से स्पष्टीकरण मांगा था और यह सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मुख्य सचिव से सुप्रीम कोर्ट से हलफनामा मांगने पर अदालत से कहा था कि यह संवैधानिक और मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है। हम आपको कार्रवाई करने और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए थोड़ा समय देंगे अन्यथा हम इस संबंध में स्वयं हस्तक्षेप करेंगे।
मालूम हो कि बीते बुधवार को मणिपुर में दो महीने पहले भीड़ द्वारा तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ मारपीट करने का वीडियो सामने आया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बेहद गंभीरता से लिया था और सरकार से जवाब-तलब किया था। इस मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार बीते 4 मई को समुदाय विशेष के एक परिवार की तीन महिलाओं से हिंसक भीड़ द्वारा न केवल सामूहिक बलात्कार किया गया, बल्कि भीड़ ने उससे पहले उनके भाई और पिता की भी हत्या कर दी थी।