कर्नाटक में नहीं थमा हिजाब विवाद, मंगलौर विश्वविद्यालय में हिजाब पहनकर आईं 12 छात्राओं को क्लास में नहीं मिली एंट्री
By रुस्तम राणा | Published: May 28, 2022 06:40 PM2022-05-28T18:40:39+5:302022-05-28T18:40:39+5:30
शनिवार सुबह रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में कॉलेज की प्रिंसिपल अनुसूया राय छात्रों को यूनिफॉर्म के नियमों के बारे में समझाती नजर आ रही हैं।
मंगलौर: कर्नाटक में हिजाब विवाद थमा नहीं है। शनिवार को मंगलौर यूनिर्वसिटी में हिजाब पहनकर आईं 12 छात्राओं को क्लास में जाने से रोक दिया गया। हालांकि मैंगलोर विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को अपने छात्रों को ड्रेस पहनने और कक्षाओं के अंदर हिजाब नहीं पहनने की सलाह दी थी।
शनिवार सुबह रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में कॉलेज की प्रिंसिपल अनुसूया राय छात्रों को यूनिफॉर्म के नियमों के बारे में समझाती नजर आ रही हैं। कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल (सीडीसी) द्वारा मैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रिंसिपल और सिंडिकेट के सदस्यों के साथ बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के 15 मार्च के आदेश को लागू किया जाएगा और कक्षाओं के अंदर हिजाब की अनुमति दी जाएगी।
#Karnatakahijabrow 12 students tried to make an appeal to the principal of #Mangalore university to allow them inside the class room wearing #Hijab. The principal said the management has decided hijab won't be allowed citing HC orders. They left after a while. #Karnatakapic.twitter.com/EfsnkDC2e2
— Imran Khan (@KeypadGuerilla) May 28, 2022
विश्वविद्यालय के कुलपति सुब्रह्मण्य यदापदिथया के अनुसार, अन्य कॉलेजों में हिजाब पहनने वाली छात्राओं के स्थानांतरण के लिए उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी जहां ड्रेस अनिवार्य नहीं है और हिजाब की अनुमति है। हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश उन सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू होता है जहां ड्रेस कोड लागू है
वहीं इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, “सिंडिकेट की बैठक में विचार-विमर्श के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है। कोर्ट ने हिजाब मुद्दे पर अपने आदेश दिए हैं और सभी को अदालत के आदेशों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, छात्रों को पीयू कॉलेजों में कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी (सीडीसी) और कॉलेज एडमिनिस्ट्रेटिव बोर्ड या उन कॉलेजों में प्रिंसिपल के आदेशों का पालन करना चाहिए जिनके पास सीडीसी नहीं है। विश्वविद्यालयों में सिंडिकेट के निर्णय का पालन किया जाना चाहिए। छात्रों के लिए इन विवादों की तुलना में अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना बेहतर है।