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मालेगांव विस्फोट: अदालत ने कर्नल पुरोहित से षड्यंत्र बैठक के बारे में पूछा

By भाषा | Updated: February 9, 2021 21:47 IST

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मुंबई, नौ फरवरी बम्बई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित से मंगलवार को सवाल किया कि क्या उनके पास यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज है कि वह विस्फोट के लिए कथित षड्यंत्र वाली बैठकों में सेना के लिए अपने आधिकारिक कर्तव्य के तहत शामिल हुए थे।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की पीठ ने पुरोहित से उस बैठक के बारे में पूछा, जिसमें वह 26 जनवरी, 2008 को शामिल हुए थे।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, यह बैठक अभिनव भारत नामक एक समूह द्वारा आयोजित की गई थी और वहीं विस्फोट की साजिश रची गई थी।

मालेगांव में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘26 को आप जिस बैठक में शामिल हुए थे उसका संदर्भ कहां है? यह संदर्भ कहां है कि वह आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा था?’’

पीठ ने तीन फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में भी पुरोहित से इसी तरह का सवाल पूछा था।

अदालत पुरोहित द्वारा पिछले साल उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लगाये गए सभी आरोपों को वापस लेने का आग्रह किया है।

उन्होंने अदालत के समक्ष कहा है कि विस्फोट के लिए साजिश वाली बैठकों में भाग लेकर वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, सेना के लिए खुफिया जानकारी एकत्रित कर रहे थे।

उनके वकीलों नीला गोखले और श्रीकांत शिवडे ने सभी पिछली सुनवाई में दलील दी थी कि अन्य आरोपी व्यक्तियों से मिलने और साजिश की बैठकों में भाग लेकर पुरोहित केवल जानकारी एकत्रित कर रहे थे और उसे सेना को दे रहे थे।

पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा है चूंकि वह सेना के लिए काम कर रहे थे, एनआईए को उनके खिलाफ मामला चलाने से पहले मंजूरी लेनी चाहिए थी।

मंगलवार को, उच्च न्यायालय ने पुरोहित को निचली अदालत में जाने का सुझाव दिया।

हालांकि, शिवडे ने दलील दी कि अगर विस्फोट मामले में मुकदमे के अंत में, निचली अदालत को यह मानना ​​है कि उनका अभियोजन वास्तव में मंजूरी के बिना था, तो उन्हें मुकदमे से क्यों गुजरना चाहिए।

शिवडे ने अदालत से पुरोहित को पीठ के समक्ष लाने की अनुमति भी मांगी। पीठ ने कहा कि वह इस अनुरोध पर सहमत हो सकती है, यदि पुरोहित ‘‘शिष्टाचार रखें।’’

अदालत मामले में 24 फरवरी को दलील सुनना जारी रखेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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